कोरोना वायरस के संक्रमन के खतरे के मद्देनजर लागू लॉकडाउन (Lockdown) से उत्पन्न स्थितियों के बीच वित्तीय संकट के दौर से गुजर रहे महाराष्ट्र, राजस्थान, ओडिशा, तेलंगना व आन्ध्र प्रदेश (Maharashtra, Rajasthan, Odisha, Telangana and Andhra Pradesh) आदि राज्यों ने जहां अपने कर्मियों के वेतन में 50 से 75 और चतुर्थवर्गीय कर्मियों से 10 फीसदी तक कटौती और डेफर्ड पेमेंट का निर्णय लिया है. वहीं केरल (Kerala) अपने सभी कर्मियों से अनिवार्य कटौती कर उसे आपदा राहत कोष में जमा कर रहा है. इसी आधार पर सोशल मीडिया में चल रहे दुष्प्रचार का खंडन करते हुए बिहार के उपमुख्यमंत्री सुशील मोदी (Deputy Chief Minister Sushil Modi) ने कहा कि बिहार

सुशील मोदी ने कहा कि पिछले वित्तीय वर्ष में केन्द्रीय करों में राज्य के हिस्से के तौर पर 25 हजार करोड़ कम मिलने और वर्तमान विपरीत परिस्थितियों के बावजूद बिहार सरकार अपने कर्मियों के वेतन और पेंशन में कोई कटौती नहीं करेगी. मार्च माह के वेतन-पेंशन का विगत वर्ष की भांति ही ससमय भुगतान की प्रक्रिया प्रारंभ कर दी गयी है.

हर माह इतना खर्च :उन्होंने कहा कि राज्य में कर्मियों की 3.10 लाख और पेंशनभोगियों की संख्या 3.80 लाख हैं, जिनके वेतन और पेंशन पर प्रतिमाह 3,800 करोड़ रुपये व्यय होता है. वहीं विश्वविद्यालय शिक्षकों और शिक्षकेत्तर कर्मियों के वेतन पर 330 करोड़ और नियोजित के साथ अन्य शिक्षकों के वेतन पर 850 करोड़ रुपये प्रतिमाह खर्च होता है. इस प्रकार वेतन और पेंशन मद में प्रतिमाह कुल 4880 करोड़ रुपये व्यय होता है.

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खोला गया ई-बिलिंग मॉड्यूल: डिप्टी सीएम ने बताया कि सारे कर्मियों के वेतन व पेंशन भुगतान के लिए सीएमएफएस प्रणाली में शुक्रवार 03 अप्रैल सेे ही आवंटन माॅड्यूल और ई-बिलिंग माॅड्यूल को खोल दिया गया. जिससे आज से ही मार्च माह के वेतन और पेंशन का भुगतान प्रारंभ हो गया है.

उन्होंने कहा कि आवंटन प्राप्त होने के बाद सभी विभाग, निदेशालय और क्षेत्रीय कार्यालय ई-बिलिंग के जरिए वेतन विपत्र तैयार कर आनलाइन कोषागार को प्रेषित रहे हैं. जहां से कर्मियों के बैंक खातों में राशि हस्तांतरित हो रही है.

Input : News18

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