चिलचिलाती दोपहरी की धूप थी और सड़क पर लंबा ट्रैफिक। लोग रेंग रहे थे और गाड़ियों के हॉर्न से चिड़चिड़ाहट बहुत बढ़ गई थी।

मैं साइड लेकर पैदल आगे बढ़ रही थी। मैं हॉफ बांह की कुर्ती और जींस में थी। इतने में एक अधेड़ उम्र का आदमी मेरे करीब से निकला और निकलते वक्त उसके हाथों ने अश्लील तरीके से मेरे पूरे हाथों को छुआ और पीठ को। मैं कुछ समझती और पीछे मुड़कर उसे लताड़ लगाती इतने में वह भी उसी भीड़ का हिस्सा बन गया जो भीड़ मौके की तलाश कर लड़कियों को छूना पसंद करती है।

ऐसे अपराधों पर लगाम आखिर कब?

आप सोच सकते हैं क्या बीतती होगी उस लड़की पर जिसके साथ बलात्कार जैसे घृणित अपराध होते हैं। मुझे समझ ही नहीं आया कि आखिर यह मेरे साथ क्यों हुआ? कुछ लोगों का ज़वाब होगा क्योंकि मैंने जींस पहना था लेकिन मैं उन्हें बता देना चाहती हूं कि जींस पहनने से अपराध नहीं होते।

भीड़ इतनी उत्तेजित क्यों है?

आज भी ऐसे लोग भीड़ को अपना चेहरा बनाकर लड़कियों के साथ अश्लील हरकतें और इशारे करते हैं। मुझे समझ नहीं आता कि इतनी उत्तेजना क्यों है?

नज़रों से भी होते हैं बलात्कार

हर बार समाज का हवाला देना ठीक नहीं क्योंकि लोगों से ही समाज बनता है। लोग जब तक अपनी मानसिकता नहीं बदलेंगे भीड़ अपने तरीके से लड़कियों का बलात्कार करती रहेगी।

किसी की नज़र को आप रोक नहीं सकते मगर नज़रों से भी हो बलात्कार हो जाते हैं। भीड़ का यह चेहरा मुझे कभी समझ नहीं आता जो कभी लड़कियों को बचाने के नाम पर उग्र हो जाती है तो वही लड़कियों के साथ अश्लील हरकतें भी करती है। क्या आपके साथ भी ऐसी कोई घटना हुई है? अगर आपका जवाब हां है, तो हमें लिख भेजिए और हम उसे #BheedKaChehra के अन्तर्गत प्रकाशित करेंगे।

NOTE : अगर आप अपनी पहचान नहीं बताना चाहते तो कोई बात नहीं। हम बिना नाम के ही आपकी कहानी लोगों तक पहुंचाएंगे।

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