पटना। कोरोना के राज्य में लगातार बढ़ते संक्रमित, संदिग्ध और आशंका वाले मामले सरकारी तंत्र के साथ ही आम लोगों के लिए मुसीबत बनते जा रहे हैं। कोरोना के मामलों को देखते हुए सरकार मेडिकल कॉलेज- अस्पताल में संग्रहित सैंपल जांच में गति लाने के लिए लगातार प्रयासरत है। कोशिश है कि राज्य में ज्यादा से ज्यादा लेबोरेटरी में कोरोना सैंपल की जांच शुरू हो, लेकिन क्षमता और संसाधन की कमी नए जांच लैब की राह में बाधा बन रही है।

The US Fast-Tracked a Novel Coronavirus Test to Speed Up Diagnoses ...

आइसीएमआर व एनएबीएल से आग्रह

पिछले महीने ही सरकार ने इंडियन कॉउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (आइसीएमआर) से राज्य के चार सरकारी और दो प्राइवेट संस्थानों में कोरोना जांच शुरू करने का आग्रह किया था। इस आग्रह के बाद आइसीएमआर के महानिदेशक ने डीएमसीएच, दरभंगा, पीएमसीएच, पटना, एसकेएमसीएच, मुजफ्फरपुर और जेएनएलएमसीएच, भागलपुर में कोरोना जांच के लिए आवश्यक उपकरण, प्रशिक्षण की सुविधा मुहैया कराने पर सहमित दी थी।

महीने भर बाद दो जगह शुरू हो पाई जांच

आइसीएमआर की सहमति के करीब महीने भर बाद अब तक डीएमसीएच, दरभंगा और पीएमसीएच, पटना में कोरोना सैम्पल की जांच शुरू हुई है। लेकिन प्राइवेट लैब में जांच का फिलहाल रास्ता साफ नहीं हुआहै। हालांकि सरकार इसके लिए प्रयासरत है कि प्राइवेट संस्थानों में जांच जल्द से जल्द शुरू हो सके।

जेएनएलएमसीएच, एसकेएमसीएच में तकनीकी दिक्कतें

राज्य के अन्य दो मेडिकल कॉलेज अस्पताल में तकनीकी समस्याओं की वजह से अब तक जांच शुरू नहीं हो पाई है। सात अप्रैल को आइसीएमआर ने जारी अपनी रिपोर्ट में स्पष्ट किया है कि भागलपुर के जवाहर लाल नेहरू मेडिकल कॉलेज अस्पताल व मुजफ्फरपुर के श्रीकृष्ण मेडिकल कॉलेज अस्पताल में तकनीकी कारणों से कोरोना जांच शुरू नहीं हो पाई है। 6 अप्रैल तक एसकेएमसीएच मुजफ्फरपुर के स्टाफ का आरएमआरआइ में प्रशिक्षण ही चल रहा था।

मेडिकल स्टाफ को वायरस की जांच के लिए आवश्यक मॉलिक्यूलर डायग्नोसिस का कोई अनुभव तक नहीं। वहीं भागलपुर के जेएनएलएमसीएच में आर टी- पीसीआर ( रिवर्स ट्रांसक्रिप्शन पॉलीमेयर चेन रिएक्शन) की सुविधा ही नहीं है। जाहिर है इन दोनों मेडिकल कॉलेज अस्पताल की इन तकनीकी दिक्कतों को जब तक दूर नहीं किया जाएगा यहां जांच संभव नहीं होगी।

दो प्राइवेट लैब में कोरोना जांच संभव

सरकारी संस्थानों के साथ ही प्राइवेट स्तर अस्पताल और लेबोरेटरी में भी कोरोना वायरस की जांच शुरू करने के लिए सरकार ने पटना के पारस अस्पताल और सेन लैब से बात की है। लेकिन अब तक कोई सार्थक रास्ता निकला नहीं है। स्वास्थ्य विभाग के सूत्रों की माने तो जब तक इन दोनों संस्थानों को  नेशनल एक्रीडेशन बोर्ड ऑफ लेबोरेटरी (एनएबीएल) से प्रमाणपत्र नहीं मिला जाता संस्थान कोरोना जैसे वायरस की जांच के मान्य नहीं हाेंगे।

जांच को देने होंगे करीब 4500 रुपये

स्वास्थ्य विभाग के सूत्र बताते हैं कि प्राइवेट लैब में कोरोना जांच प्रारंभ होने पर प्राइवेट लैब फीस के रूप में 45 साै रुपये से अधिक नहीं ले सकेंगे। इनमें 1500 रुपये स्क्रीनिंग और 3000 रिपोर्ट पुष्टि के लिए देने होंगे।

देश के 29 प्राइवेट लैब को कोराना जांच की अनुमति

जानकारी के अनुसार कोरोना के मामले बढ़ने के बाद एनएबीएल ने 25 मार्च को देश के 29 प्राइवेट लैब को एनएबीएल प्रमाणपत्र देकर जांच की अनुमति दी है। इनमें बिहार से अब तक एक भी संस्थान नहीं। एनएबीएल प्रमाणपत्र तभी मिल सकता है जब संबंधित संस्थान के पास जांच की आधुनिक मशीनें और प्रशिक्षत स्टॉफ हो। इसके अलावा कुल 48 तरह की कसौटियों पर कसने के बाद ही एनएबीएल प्रमाणपत्र जारी होता है।

राज्यवार एनएबीएल सर्टिफिकेट प्राप्त प्राइवेट लैब :

महाराष्ट्र – 9, दिल्ली 4, तेलंगाना 4, गुजराज 3, हरियाणा 3, कर्नाटक 2, तमिलनाडु 3, प. बंगाल 1

Input : Dainik Jagran

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