बदलते वक्त और भगामभाग वाली जीवनशैली लोगों के स्वास्थ्य को बुरे तरीके से प्रभावित कर रही है। जिस कारण महिलाओं और पुरुषों में कैंसर जैसी गंभीर बीमारी बढ़ती जा रही है. अगर महिलाओं की बात करें तो उनमें स्तन कैंसर सबसे प्रमुख कैंसर है.

स्तन कैंसर में ब्रेस्ट की कोशिकाएं असामान्य रुप से बढ़ती हैं और बाद में ट्यूमर का रूप धारण कर लेती हैं. स्तन में गांठ का होना इस कैंसर के प्ररारंभिक लक्षण हो सकते हैं. इसके अलावा स्तन के चमड़े का रंग बदलना, दर्द या फिर कांख में गांठ की शिकायत स्तन कैंसर के लक्षण हो सकते हैं. निप्पल का सिकु़ड़ना या फिर लाल रंग का रिसाव होना भी स्तन कैंसर की ओर इंगित करता है. अगर किसी महिला को इस तरह की तकलीफ हो तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए.

खुद करें स्तन की जांच

महिलाएं अपने ब्रेस्ट की जांच खुद भी कर सकती हैं, जिसे ‘सेल्फ ब्रेस्ट एग्जामिन’ कहा जाता है। इसे माहवारी के चार-पांच दिनों के बाद किया जाता है। इसमें हथेली से थोड़ा दवाब देकर पूरे स्तन का परीक्षण किया जाता है। साथ ही बगल या कांख का परीक्षण भी अनिवार्य है। आईने में भी महिलाएं अपने स्तनों की जांच कर सकती हैं। इससे किसी भी तरह के खिंचाव या त्वचा के रंग में परिवर्तन आदि का पता चलता है लेकिन ज़रूरी नहीं कि हर गांठ या दर्द कैंसर हो।

आ गई है नई तकनीक

आजकल नई तकनीक उपलब्ध है, जिसके द्वारा कैंसर होने के बावजुद स्तन को बचाया जा सकता है. टार्गेटेड थेरेपी और इम्मयुनोथेरेपि यह एडवांस तरीकों में से एक है, जिससे कैंसर के इलाज को अब कष्ट रहित रुप दिया जा सकता है इसलिए अब हमें स्तन कैंसर से डरने की ज़रुरत नहीं है क्योंकि जागरुकता ही इसका बचाव है.

मेमोग्राफी- एक प्रकार का एक्स-रे है, जिसके द्बारा स्तन कैंसर की स्क्रिनिंग की जाती है. इसके द्बारा हम कैंसर को शुरुआती दौर में पकड़ सकते हैं. कैंसर साबित होने पर इसके स्टेज के अनुसार इसका उपचार निर्धारित किया जाता है. इसमें सर्जरी, किमोेथेरेपी, रेडियोथेरेपी और हार्मोनलथेरेपी सम्मलित है. अगर सही तरीके से इसका उपचार किया जाए तो स्तन कैंसर को पूर्ण रुप से ठीक किया जा सकता है.

इसके अलावा कुछ बचाव के भी तरीके हैं, जिससे स्तन कैंसर से बचा जा सकता है.

  • शराब ना पीना.
  • सिगरेट ना पीना.
  • सही समय पर शादी और बच्चों का होना.
  • मोटापे पर कंट्रोल रखना.
  • स्तनपान स्तन कैंसर से बचने का सबसे अच्छा तरीका है.
  • 40-45 उम्र पर नियमित तौर पर मेमोग्राफी करवाना ज़रूरी हो जाता है.

HER2 टेस्ट पॉजेटिव आने पर भी ब्रेस्ट कैंसर का पता चलता है. इसके साथ अगर शरीर की कोशिकाओं में BRCA म्युटेशन हो तो कैंसर होने का ख्तरा कम हो जाता है.

स्वयं तोड़े वर्जनाओं को

ग्रामीण, अत्यंत पिछड़े और शहरी इलाकों में आज भी महिलाएं शर्म और लापरवाही के कारण अपनी सेहत के साथ खिलवाड़ करती हैं। महिलाओं को लंबा घूंघट रखना पड़ता है, जिससे उन्हें सूर्य की रोशनी तक नहीं मिल पाती। महिलाओं को खुद इन सब ख्यालातों को तोड़ना होगा। शर्म या लापरवाही खुद के साथ खिलवाड़ करने के बराबर है। परिवारवालों की भी ज़िम्मेदारी होती है कि वे उन्हें अवसाद में जाने से बचाएं, मानसिक तौर पर महिलाओं को हिम्मत दें और समय पर डॉक्टर से इलाज कराएं।

Approved By

Dr. Abhishek Anand

MD, DM -Cancer Specialist

Paras & Narayana Cancer Centre, Patna

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