साहब! मेरी पत्नी का देहांत हो गया है। मुझे किसी भी तरह घर भिजवा दीजिए। घर पहुंचने तक खाना भी नहीं खाऊंगा। एक अन्य ने 12 दिन से यह कहते हुए नहाना छोड़ दिया कि घर में परेशानी है। वहीं जाकर ही नहाऊंगा। जब क्रास चेक किया गया तो सच्चाई कुछ और निकली। लॉकडाउन के चलते मॉडल टाउन स्थित डॉ. एमकेके स्कूल में बने शेल्टर होम में इन बहानों से अधिकारियों को रोज दो-चार होना पड़ रहा है।

यहां ठहरे उत्तर प्रदेश के जिला जौनपुर के सिद्धीपुर गांव का कमलेश एक अप्रैल से शेल्टर होम में हैं। दो दिन पहले कमलेश ने अधिकारी को बताया कि पत्नी गुडिय़ा का देहांत हो गया है। इसलिए उसे घर भेजने की व्यवस्था की जाए। इसे सच साबित करने के लिए उसने खाना भी छोड़ दिया। इससे अधिकारियों के हाथ-पांव फूल गए।

परेशान अधिकारी ने कमलेश के साले भोनू से मोबाइल पर बात की तो सारा भेद खुल गया। भोनू ने बताया कि जीजा उसकी दीदी गुडिय़ा और भांजे ङ्क्षप्रस के साथ गुजरात के सूरत में रहते हैं और साड़ी की फैक्ट्री में काम करते हैं। उसके जीजा बहन और भांजे को 22 मार्च को मध्यप्रदेश के खंडवा रेलवे स्टेशन पर छोड़कर आ गए थे। वीडियो कॉल कर भोनू ने कमलेश को बताया कि उसकी दीदी गुडिय़ा ङ्क्षजदा है और सही-सलामत है। आप अपना ध्यान रखना। इससे कमलेश के झूठ का पता चला। अधिकारी ने भी राहत की सांस ली।

गाजियाबाद के 55 वर्षीय विपिन शर्मा ने बताया कि वह माता वैष्णो देवी दर्शन के लिए गया था। इसी दौरान लॉकडाउन हो गया। 23 मार्च को पंजाब से पैदल चला। पंजाब पुलिस ने उसे नहीं रोका। 30 मार्च को पानीपत में पुलिस ने उसे रोक लिया। तभी से शेल्टर होम में है। 12 दिन से विपिन ने स्नान नहीं किया है। अधिकारी उसे समझा रहे हैं, लेकिन वह नहाने को तैयार नहीं है। उसका कहना है कि जब तक घर नहीं भेजेगो तब तक स्नान नहीं करेगा। इसको लेकर अधिकारी परेशान हैं।

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