मुजफ्फरपुर । चमकी प्रभावित गांव को गोद लिए जिला एवं प्रखंड स्तरीय पदाधिकारियों ने शनिवार को दूसरी बार दौरा किया। यह गोद लिए गांव वहीं हैं जहां 2019 में चमकी के मामले आये थे। गोद लिए गये कुल गांवों की संख्या 196 है। ज्ञात हो कि गोद लिए गांवों का भ्रमण पिछली बार जिलाधिकारी डाॅ चंद्रशेखर सिंह ने भी किया था। केयर जिला संसाधन ईकाई के डीटीएल सौरभ तिवारी ने बताया कि उनके गोद लिए गांव का नाम मंझौली है जो बोचहा प्रखंड के अंतर्गत आता है। भ्रमण के दौरान पिछली बार पीड़ित बच्चों से मिला। उन बच्चों के अभिभावकों से पूछा पिछली बार कैसे उनके बच्चे पीड़ित हुए, गांव में सामुदायिक रुप से क्या असुविधाएं मौजूद हैं। वहीं पूरे गांव का भ्रमण भी किया। समाजिक दूरी का ख्याल रखते हुए लोगों के साथ बैठक की। लोगों की परेशानियों को जाना। अभिभावकों से बच्चों के इलाज कराने के जगह के बारे में भी जानकारी ली। इस दौरान हम लोगों ने उनके साथ एईएस रोकथाम के तरीकों पे चर्चा की। बच्चों के अभिभावकों से कहा गया अपने बच्चे का इलाज चाहे जहां कहीं भी कराते हों, चमकी के लक्षण दिखते ही उन्हें नजदीकी स्वास्थ्य केंद्र या पीएचसी पर लाएं। वहां इसका संपूर्ण और उचित ईलाज है। इसके लिए 102 नंबर डायल कर एम्बुलेंस भी मंगाया जा सकता है। जिले में अभी कुल 43 एम्बुलेंस मौजूद हैं। मस्तिष्क ज्वर की रोकथाम हेतु जागरूकता के साथ ससमय प्राथमिक उपचार एवं रेफरल के बारे में भी जानकारी दी गई।

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भ्रमण के दौरान बतायी गयी बातें

उन्हें बताया गया कि कोई भी बच्चा भूखे पेट न सोयें , बुखार के साथ चमकी अथवा सुस्ती होने पर बिना समय गंवाये नजदीकी प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्रों पर भेजें। जहाँ मस्तिष्क ज्वर के लिए विशेष दो बेड का वार्ड बनाया गया है। बुखार के लिए बच्चे के शरीर को पानी भीगो कर गमछा से पोंछे ।चमकी आने पर नाक या मुँह को कतई बंद न करें। बच्चे को खुली हवा में रखें ।बच्चों को धूप में न जाने दे। मुफ्त एम्बुलेन्स के लिए 102 डायल करें और अपने निकटतम प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्रों से सम्पर्क करे। इस दौरान लोगों के बीच चमकी प्रभावित गांवों में जागरुकता संबंधित पंपलेट भी बांटे गये।

लक्षणः अचानक तेज बुखार आना, मुंह से झाग आना, सुस्ती

क्या करेंः चीनी और नमक का घोल तुरंत दें। ओआरएस दें, साथ ही तुरंत नजदीकी सरकारी अस्पताल लेकर जाएं। मुफ्त एबुंलेंस सेवा के लिए 102 डायल करें।

क्या न करेंः ओझा गुणी के पास न ले जाएं। झाड़ फूंक न कराएं। अस्पताल लेकर जाने में देरी न करें। झोला छाप डाक्टर के पास बिल्कुल न जाएं।

 

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