दुनियाभर के शोधकर्ता चमगादड़ों में कई प्रकार के वायरसों की तलाश कर रहे हैं ताकि अगली महामारी के बारे में पहले ही भविष्यवाणी की जा सके. अब तक 500 खतरनाक वायरस को खोजा जा चुका है. खास बात यह है कि इन्हें ऐसी गुफाओं में खोजा गया है, जहां चमगादड़ों की बस्ती है.
हिंदुस्तान ई पेपर ने एजेंसी के हवाले से छापा है कि चीन के यूनन प्रांत में मौजूद चूना पत्थर की गुफाओं में वैज्ञानिकों का एक दल विशेष सुरक्षा सूट पहनकर नए प्रकार के घातक वायरसों की खोज करने में जुटा है. वैज्ञानिक यहां से चमगादड़ों के जालों, थूक और खून समेत कई तरह के नमूने एकत्रित करते हैं. अमेरिकी एनजीओ इकोहेल्थ एलाइंस नए घातक वायरसों की पहचान करने और बचाव करने में मदद करता है. इसके वैज्ञानिक पीटर दासजाक एक वायरस खोजी हैं, जो 10 वर्षों में 20 से ज्यादा देशों में खतरनाक वायरस की खोज कर चुके हैं. उनके जैसे खोजकर्ता जानवरों में पाए जाने वाले हर तरह के वायरस की जानकारी वैज्ञानिकों को मुहैया कराते हैं. वैज्ञानिक इसकी जानकारी की मदद से बताते हैं कि कौन-सा वायरस इंसानों में फैल सकता है ताकि कोरोना जैसी महामारी से बचने के लिए दुनिया को पहले ही तैयार किया जा सके.
जब संक्रमण का फैलाव होने लगा तब वुहान इंस्टीट्यूट ऑफ विरोलॉजी के विरोलॉजिस्ट शी जेंगली ने उसका मिलान पहले से मौजूद कोरोना वायरस की लाइब्रेरी से किया. पता चला कि कोरोना यूनान की गुफाओं में 2013 में मिले नमूनों से 96.2 फीसदी मेल खाता था. दासजाक ने कहा, यह जानना कि नया वायरस कहां से आया और ये इंसानों तक कैसे पहुंचा, यह महत्वपूर्ण जानकारी है. यह महामारी रोकने को समय पर कदम उठाने में मददगार है.
कई जानवर बनते हैं वायरस के वाहक
इन वायरसों को इंसानों में फैलने के लिए माध्यम की जरूरत होती है. ऐसे में बिल्ली, ऊंट,पैंगोलिन और अन्य स्तनपायी जानवार जो इंसानों के पास निवास करते हैं , इस वायरस के प्रसार का माध्यम बनते हैं. नेचर पत्रिका में कहा गया है कि चमगादड़ों में बड़ी संख्या में घातक वायरस होते हैं जो इबोला, सार्स और कोविड-19 जैसी महामारियों का कारण बनते हैं.