केंद्र सरकार के आदेश के परे बिहार सरकार ने तो आदेश जारी कर दिया कि बिहार के सभी जिले या तो रेड जोन में होंगे या ऑरेंज ओन में लेकिन बिहार सरकार ने केंद्र द्वारा ग्रीन जोन घोषित किए गए जिलों को भी ऑरेंज जोन में रखा। इसका खामियाजा विभिन्न दवाई कंपनियों में काम करने वाले मेडिकल रिप्रेजेंटेटिव पर पड़ा।
केंद्र सरकार के निर्देशानुसार जिन जिलों को ग्रीन जोन घोषित किया गया था कुछ दवाई कंपनियों ने उन जिलों के एमआर को कार्य करने का दिशा निर्देश जारी कर दिया है। किंतु बिहार सरकार द्वारा उन जिलों में वर्तमान में भी ऑरेंज जोन लागू है ऐसे में मेडिकल रिप्रेजेंटेटिव को काफी परेशानी हो रही है। उनके लिए कोई विशेष निर्देश नहीं होने पर उनकी परेशानियां बढ़ गई है। मुजफ्फरपुर जिले के मेडिकल रिप्रेजेंटेटिव की पूरी टीम इस मामले में परेशान है और ऑरेंज जोन में भी लॉकडाउन का उल्लंघन करने को मजबूर हैं।
उनका कहना है कि डॉक्टर के क्लीनिक अथवा अस्पतालों में कॉल पर जाने पर वहां समय सीमा निर्धारित होती है तो उतने ही समय में सभी मेडिकल रिप्रेजेंटेटिव को एक-एक करके डॉक्टर से मिलना होता है। ऐसे में वहां पर भीड़ बढ़ेगी और सोशल डिस्टेंसिंग का पालन नहीं हो पाएगा तो इस प्रकार की विवशता के कारण मेडिकल रिप्रेजेंटेटिव काफी परेशान है लेकिन उनकी परेशानी की सुध लेने वाला कोई नहीं है।
ऐसे में सवाल यह है कि अगर राज्य सरकार ने बिहार के सभी जिलों को रेड अथवा ऑरेंज जोन की श्रेणी में रखने का निर्देश दिया तो फिर कुछ दवाई कंपनियों ने उसका पालन क्यों नहीं किया ? ऐसी परिस्थिति में मेडिकल रिप्रेजेंटेटिव क्या करें ? अपनी कंपनी के दिशा निर्देश का पालन करें या राज्य सरकार के दिशा निर्देश का पालन करें ? इस समस्या को गंभीरता से लेने की आवश्यकता है और उचित कार्यवाही करने की आवश्यकता है।