नई दिल्ली. कैलाश मासरोवर यात्रा (Kailash Mansarovar yatra) अब आसान हो जाएगी. तीर्थ यात्रियों को अब यात्रा करने में पहले के मुकाबले दो सप्ताह कम लगेंगे. रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह (Rajnath Singh) ने शुक्रवार को पिथौरागढ़-धारचूला से लिपुलेख को जोड़ने वाली सड़क का वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिए उद्घाटन किया. इस मौके पर सीडीएस जनरल बिपिन रावत सेना प्रमुख जनरल एम.एम. नरवणे और बीआरओ के प्रमुख लेफ्टिनेंट जनरल हरपाल सिंह भी मौजूद थे.

राजनाथ सिंह ने पिथौरागढ़ से गुंजी तक 9 वाहनों के काफिले को रवाना कर 75.54 किलोमीटर सड़क को खोले जाने की घोषणा की. परियोजना ‘हीरक’ के मुख्य अभियंता विमल गोस्वामी ने बताया कि इस काफिले में चार छोटे वाहन और सीमा सडक संगठन (BRO) और भारत तिब्बत सीमा पुलिस (ITBP) के कुछ वाहन शामिल थे.

Complete Guide of Kailash Mansarovar Yatra 2020

दशकों पुराना सपना हुआ साकार

उद्घाटन के बाद रक्षा मंत्री ने कहा, ‘कैलाश मानसरोवर जाने वाले श्रद्धालुओं की मुश्किलें अब आसान हो गई हैं. अब श्रद्धालु तीन सप्ताह की यात्रा एक ही हफ्ते में पूरी कर सकेंगे. इसके साथ ही स्थानीय लोगों और तीर्थ यात्रियों का दश्कों का सपना साकार हो गया है.’ 17 हजार से ज्यादा फीट की ऊंचाई पर 80 किलोमीटर लम्बी यह रोड कैलाश मानसरोवर को जोड़ने वाले लिपुलेख तक जाएगी.

नितिन गडकरी ने की थी घोषणा

केंद्रीय सडक परिवहन मंत्री नितिन गडकरी ने पिछले साल इस मार्ग को अप्रैल 2020 तक पूरा करने की घोषणा की थी. गोस्वामी ने बताया कि बूंदी से आगे तक का 51 किलोमीटर लंबा और तवाघाट से लेकर लखनपुर तक का 23 किलोमीटर का हिस्सा बहुत पहले ही निर्मित हो चुका था, लेकिन लखनपुर और बूंदी के बीच का हिस्सा बहुत कठिन था और उस चुनौती को पूरा करने में काफी समय लग गया.

2008 में शुरू हुआ था सड़क का निर्माण

इस सड़क का निर्माण 2008 में शुरू हुआ था और उसे 2013 तक पूरा होना था लेकिन नजांग और बूंदी गांव के बीच बहुत कठिन क्षेत्र होने के कारण इसमें विलंब होता चला गया. सड़क का उदघाटन होने के बाद लिपुलेख दर्रे के जरिए होने वाली कैलाश मानसरोवर यात्रा भी श्रद्धालुओं के लिए बहुत सुविधाजनक हो जाएगी जो दर्शन करने के बाद एक दिन में ही भारत लौट सकते हैं.

Input : News18

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