देश में आर्थिक विकास को बढ़ावा देने के लिए छह राज्य सरकारों ने अपने श्रम कानूनों में बड़े बदलाव किये हैं। कोरोना वायरस को फैलने से रोकने के लिए देश में 25 मार्च से लॉकडाउन जारी है। ऐसे में कई कंपनियों ने छंटनी शुरू कर दी है। इसके चलते अर्थव्यवस्था थम सी गई है। इसलिए रोजगार और निवेश को ध्यान में रखते हुए राज्य सरकारों में श्रम कानून में बदलाव किया है।

उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश और गुजरात के बाद अब गोवा, महाराष्ट्र और ओडिशा ने भी श्रम कानूनों में अहम बदलावों की घोषणा कर दी है। राज्य सरकारें इसे निवेश, नौकरी और अर्थव्यवस्था को रफ्तार देने के लिए अच्छा फैसला बता रही हैं।

उत्तर प्रदेश सरकार तीन साल तक देगी छूट

उत्तर प्रदेश सरकार ने अगले तीन साल के लिए श्रम कानूनों से छूट देने का फैसला किया है। राज्य सरकार के प्रवक्ता ने बताया कि सरकार ने एक अध्यादेश को मंजूरी दी है, जिसमें कोरोना वायरस संक्रमण के बाद प्रभावित हुई अर्थव्यवस्था और निवेश को पुनर्जीवित करने के लिए उद्योगों को श्रम कानूनों से छूट का प्रावधान है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की अध्यक्षता में हुई राज्य मंत्री परिषद की बैठक में ‘उत्तर प्रदेश चुनिंदा श्रम कानूनों से अस्थाई छूट का अध्यादेश 2020’ को मंजूरी दी गई, ताकि फैक्ट्रियों और उद्योगों को तीन श्रम कानूनों तथा एक अन्य कानून के प्रावधान को छोड़ बाकी सभी श्रम कानूनों से छूट दी जा सके। महिलाओं और बच्चों से जुड़े श्रम कानून के प्रावधान और कुछ अन्य श्रम कानून लागू रहेंगे।

मध्यप्रदेश सरकार ने कागजी कार्रवाई कम किया

मध्यप्रदेश सरकार ने औद्योगिक विवाद अधिनियम और कारखाना अधिनियम सहित प्रमुख अधिनियमों में संशोधन किए हैं। साथ ही कंपनियों को कोविड-19 संकट से तेजी से उबरने में मदद करने के लिए कागजी कार्रवाई को कम किया है। मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने विभिन्न कदमों की घोषणा करते हुए कहा कि प्रदेश में सभी कारखानों में कार्य करने की पाली 8 घंटे से बढ़कर 12 घंटे की होगी। सप्ताह में 72 घंटे के ओवरटाइम को मंजूरी दी गई है। कारखाना नियोजक उत्पादकता बढ़ाने के लिए सुविधानुसार शिफ्टों में परिवर्तन कर सकेंगे।

गुजरात सरकार ने भी की श्रम कानूनों को आसान बनाने की घोषणा

उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश की राह पर चलते हुए गुजरात ने भी श्रम कानूनों को आसान बनाने की घोषणा की। गुजरात के मुख्यमंत्री विजय रूपाणी ने कहा कि, ‘कम से कम 1,200 दिनों के लिए काम करने वाली सभी नई परियोजनाओं या पिछले 1,200 दिनों से काम कर रही परियोजनाओं को श्रम कानूनों के सभी प्रावधानों से छूट दी जाएगी। हालांकि तीन प्रावधान लागू रहेंगे। राज्य सरकार ने वैश्विक कंपनियों के लिए 33,000 हेक्टेयर जमीन की भी पहचान की है, जो चीन से अपना कारोबार स्थानांतरित करना चाहती हैं।’ न्यूनतम मजदूरी के भुगतान से संबंधित कानूनों, सुरक्षा मानदंडों का पालन करना तथा औद्योगिक दुर्घटना के मामले में श्रमिकों को पर्याप्त मुआवजा देना जैसे कानूनों के अलावा कंपनियों पर श्रम कानून का कोई अन्य प्रावधान लागू नहीं होगा।

गोवा व ओडिशा व महाराष्ट्र सरकार ने भी दी श्रम कानूनों में ढील

अब गोवा, महाराष्ट्र और ओडिशा की सरकार ने भी 1948 के कारखानों अधिनियम के तहत श्रम कानूनों में ढील दी है। दोनों राज्यों ने शुक्रवार को सभी कारखानों में कार्य करने की पाली 8 घंटे से बढ़ाकर 12 घंटे करने की अनुमति दे दी है। सप्ताह में 72 घंटे के ओवरटाइम को मंजूरी दी गई है। गोवा और ओडिशा सरकार ने कोरोना वायरस महामारी की वजह से तीन महीने तक श्रम कानूनों में ढील देने का एलान किया है। दोनों राज्यों ने कहा कि श्रमिकों को अतिरिक्त घंटों के लिए अतिरिक्त भुगतान किया जाएगा। वहीं, कर्नाटक सरकार भी श्रम कानूनों में छूट देने के बारे में सोच रही है।

केंद्र ने किया सुधारों का समर्थन

केंद्र सरकार ने आर्थिक विकास को बढ़ाने के लिए संरचनात्मक श्रम सुधारों का समर्थन किया। राज्य सरकार द्वारा लाए गए व्यापक श्रम कानून में बदलाव और छूट का समर्थन किया। केंद्र सरकार और मध्यप्रदेश व उत्तर प्रदेश की भाजपा सरकारों को विश्वास है कि सुधारवादी मानसिकता और श्रम अनुपालन अवकाश अधिक निवेश को आकर्षित करेंगे और इससे विकास सुनिश्चित होगा।

अन्य राज्यों में भी हो सकता है बदलाव

बाकी राज्य भी जल्द इसी रास्ते पर चल सकते हैं। वह भी अपने यहां नियमों में ढील देने पर विचार कर रहे हैं। हरियाणा ने इस ओर कदम बढ़ाना शुरू भी कर दिया है। पंजाब सरकार राज्य में आर्थिक गतिविधियां शुरू करने और इसे प्रवासी मजदूरों के लिए आकर्षक गंतव्य बनाने के लिए श्रम कानून व आबकारी नीति में बदलाव पर विचार कर रही है। सरकार की ओर से जारी बयान में कहा गया है कि मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह की अध्यक्षता में हुई राज्य मंत्रिमंडल की बैठक में राज्य में श्रम कानून और आबकारी नीति में बदलाव पर विचार किया गया।

Input : Dainik Jagran

Muzaffarpur Now – Bihar’s foremost media network, owned by Muzaffarpur Now Brandcom (OPC) PVT LTD