आज मदर डे है, माँ के लिये तो कोई एक दिन नहीं है लेकिन माँ के होने से ही हमारा हर दिन है, माँ है तो हम है. माँ धरती पर हमारे होने का सूत्रधार है, माँ हमारे जीवन की आधार है, बिना माँ के तो कोई जन्म ले भी नहीं सकता, दुनिया के सारे मोह झूटे है एक माँ सच्ची है, माँ का प्यार सच्चा है.

आज के युग में निक्कमे बेटे बहुत है, जो समाज के कुपुत्र है, लेक़िन हमने माता कभी कुमाता नहीं देखा, बेटा कितना भी बेरहम हो जाये, माँ लेक़िन सदैव माँ रहती हैं. बेटा माँ को घर से निकाल सकता है कई स्थिति तो आपके सामने है, माँ को गांव मे छोर पत्नी के साथ शहरों में बसने वाले तुम्हारी जरूरतें माँ से बड़ी हो गयी.

जिस तरह शहरों मे बस जाने वाले युवाओं ने अपनी माँ को बुढ़ापे में अकेला छोड़ दिया सोचो अगर बचपन मे उन्हें उनकी माँ ने छोर दीया होता तो क्या आज वे इस मुकाम पर होते,शायद नहीं होते. ये कटाक्ष नहीं है, ये सत्य है, लेकिन माँ निस्वार्थ होती है उनके लिये उसका बेटा राजकुमार होता है, एक माँ अपने औलाद से कुछ नहीं चाहती जो चाहती है वो बस उसकी सलामती.

वो सच ही कहा गया है, चोट- ए- ज़ख्म फौलाद से ज्यादा क्या होगी, माँ तेरी दौलत औलाद से ज्यादा क्या होगी, एक माँ की दौलत औलाद से ज्यादा कुछ नहीं होती, माँ की तस्वीरों को वाट्सएप और फेसबुक का स्टेटस लगाने वाली जेनरेशन इसे ही अपना दायित्व समझ रही है लेक़िन आज का बेटा अपने माँ के प्रति वास्तविक दायित्वों से बेख़बर है.

Abhishek Ranjan Garg

अभिषेक रंजन, मुजफ्फरपुर में जन्में एक पत्रकार है, इन्होंने अपना स्नातक पत्रकारिता...