24 वर्षीय युवा रजनीश कुमार रंजन अपने किसी काम से लाॅकडाउन में गया में फँस जाने के बाद वहाँ से सरकार के निर्देशित प्रक्रिया से गुज़र कर पास बनवा के अपने गाँव 9 मई को आते हैं।आते ही अपने नज़दीक के सकरा रेफरल अस्पताल में अपना जाँच करवाते हैं, एहतियातन जाँच में उन्हे होम कोरेंटाईन में रहने का सलाह रेफरल अस्पताल ने दिया जिसे मानते हुए वो घर पर ही रहने लगे। यह है जर्नी पास और रेफरल अस्पताल से जारी होम कोरेंटाईन के कागज़ के स्कैन काॅपी।
गाँव में लोगों को खबर होते ही लोगों ने अफवाह उड़ा दिया कि उक्त व्यक्ति मुंबई से आया हुआ है। लोकल जनप्रतिनिधियों कि सूचना पर नजदीकी थाना और स्वास्थ्य विभाग के लोग घर पहुँच कर कागज़ दिखाने के बावजूद उसे लेकर कोरेंटाईन सेंटर में रख देतें हैं।
अब सवाल यह भी उठता है कि अगर कोरेंटाईन सेंटर में ही रखना था तो रेफरल अस्पताल से होम कोरेंटाईन का निर्देश कैसे ज़ारी किया गया था। कोरोना संभावित पर निर्णय स्वास्थ्य विभाग के रेफरल अस्पताल के डाक्टर लेंगे या नज़दीकी थाने के थानेदार और ग्रामीण जनप्रतिनिधि। प्रक्रिया जो भी हो होम कोरेंटाईन में रह कर प्रसाशनिक सहयोग करने वालों को होम कोरेंटाईन से कोरेंटाईन सेंटर में डाल कर क्यों कोरेंटाईन सेंटर पर बोझ बढाने का काम करना क्योंकि वहां तो पहले से ही भीड़ है।