वो कहते है ना जितना चादर हो उतना ही पांव को फैलाना चाहिए लेक़िन केजरीवाल तो पसरते चले गए. चुनाव से पहले रैलियों में चीख़ने वाले केजरीवाल की पैसो की कोई कमी नही है जी. अब वहीं केजरीवाल केंद्र से पैसा मांगते वक्त ये कह रहे है कि बस 5 हजार करोड़ दे दो जी हमारे पास कर्मचारियों को वेतन देने के लिए भी पैसा नही है.

चुनाव के ठीक पहले जीतने के लालच में केजरीवाल ने धराधर फ्री-फ्री का स्किम चलाया और पैसा लुटाने लगे चारों तरफ वाह-वाही भी होने लगी कि केजरीवाल जनता की सोचता है, लेक़िन ये अब पता चला कि जीतने के चक्कर में सरकारी खज़ाना लुटाने वाले केजरीवाल की सरकार अब कंगाल हो चुकी है. इतनी कंगाल की उनके पास अब अपने कर्मचारियों को देने के लिये पैसा भी नही है.

केजरीवाल सरकार ने अब केंद्र के सामने अपना दुखड़ा रोया है कि दिल्ली सरकार के पास इतने भी पैसा नहीं है कि वो कर्मचारियों को वेतन दे सके ऐसी हालत में केंद्र उनकी मदद करे, हालांकि केजरीवाल एक तरफ केंद्र से मदद मांग रहे है वही दूसरी ओर विज्ञापन पर भी ख़ूब पैसे उड़ा रहे है. अभी कुछ दिन पहले ही केजरीवाल ने दिल्ली से प्रकाशित होने वाली सभी अंग्रेजी – हिंदी अखबार में फ्रंट पेज पर फूल साइज़ विज्ञापन दिया था.

खुद की सरकार को कंगाल साबित करने वाले केजरीवाल की अब हर तरफ़ आलोचना हो रही है लोग केजरीवाल से सवाल कर रहे है और केजरीवाल घिरते नजर आ रहे है.

फ्री – फ़्री करने वाली केजरीवाल की सरकार अब फकीरी का राग अलाप रही है इसलिये महान लोगो ने कहा है. उतनी ही पांव पसारो जितनी लंबी चादर.

Abhishek Ranjan Garg

अभिषेक रंजन, मुजफ्फरपुर में जन्में एक पत्रकार है, इन्होंने अपना स्नातक पत्रकारिता...