नई दिल्‍ली. भारतीय सेना और चीनी पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (PLA) के शीर्ष जनरलों की शनिवार को बैठक होने जा रही है. भारत-चीन (India-China) वार्ता से पहले Network 18 ने 4 दिन के लिए 13 भाषा की 16 वेबसाइटों और लगभग 100 सोशल मीडिया चैनलों पर एक महापोल किया. इस दौरान लगभग 31 हजार लोगों ने अपनी राय रखी.

नेटवर्क 18 के ‘चीन पर क्‍या सोचता है देश’ नाम से सबसे बड़े पोल में लगभग 70 फीसदी लोगों ने माना कि भारत चीन में सैन्‍य संघर्ष के हालात हैं. जबकि 84 फीसदी लोगों का मानना है कि चीना खराब देश है. वहीं 91 फीसदी को एलएसी पर दोनों सेनाओं के आमने सामने होने की जानकारी है. 61 फीसदी लोगों ने चीन के सामने भारत के कदम को सही माना है.

चीनी उत्‍पादों के बहिष्‍कार की उठी मांग
पोल में न्‍यूज18, मनीकंट्रोल, फ़र्स्टपोस्ट और CNBC-TV18 के ऑनलाइन प्लेटफ़ॉर्म शामिल थे. इसमें लगभग 91 फीसदी लोगों ने राय रखी कि चीनी उत्‍पादों का बहिष्‍कार करना चाहिए. मराठी लोग ज्‍यादा इसके पक्ष में दिखे. बहिष्‍कार की राय रखने वालों में लगभग 97 फीसदी मराठी हैं.

चीनी उत्‍पादों के बहिष्‍कार पर अपनी राय रखने वालों में से 72 फीसदी लोगों ने कहा कि अगर वे इसपर कुछ कदम उठाना चाहेंगे तो कोई भी चीनी सामान नहीं खरीदेंगे. जबकि 23 फीसदी लोग चीनी सामानों की खरीद में कटौती करने को तैयार हैं. केवल 4 फीसदी का कहना है कि वे अभी भी चीनी उत्‍पाद खरीदना चाहते हैं.

चीन पर सबसे बड़ा सर्वे: 84 फीसदी लोगों ने माना चीन खराब देश

शी जिनपिंग की अपेक्षा डोनाल्‍ड ट्रंप को सबसे ज्‍यादा पसंद किया गया
पोल में शामिल 50 फीसदी लोगों ने कहा कि भारत को ताइवान को अलग देश का दर्जा देना चाहिए. पोल में करीब 90 फीसदी लोगों ने शी जिनपिंग की बजाय डोनाल्‍ड ट्रंप को तरजीह दी. सिर्फ 10 फीसदी लोगों ने शी जिनपिंग को चुना.

भारतीय समुदायों में, मलयाली और उर्दू बोलने वालों में शी जिनपिंग की रेटिंग औसत से अधिक है. दूसरी ओर मराठी और ओडिया के लोगों ने डोनाल्‍ड ट्रंप को सबसे ज्यादा पसंद किया और शी को सबसे कम. उनका औसत 98:2 का है.

भारतीय समुदायों के 94 फीसदी लोगों का मानना है कि कोरोना वायरस संकट से निपटने में चीन बेईमानी कर रहा है.

अमेरिका-चीन संघर्ष पर लोगों ने दी ये राय
अमेरिका के साथ चीन के संघर्ष के मामले में 74 फीसदी लोगों का मानना है कि भारत बीजिंग के खिलाफ दूसरे पक्ष का साथ दे. लेकिन तमिलनाडु के 51 और पंजाब के 52 फीसदी लोग चाहते हैं कि भारत को इस तरह के कदम उठाने से बचना चाहिए.

पोल में भाग लेने वाले 88 फीसदी लोग नहीं चाहते हैं कि चीनी कंपनियां भारत में 5जी के बुनियादी ढांचे का निर्माण करें. जबकि 87% भारतीय देश में और अधिक चीनी निवेश नहीं चाहते हैं.

Input : News18

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