उत्तर बिहार में पंजाब-हरियाणा के फैक्ट्री संचालकों के एजेंट फिर से सक्रिय हो गए हैं। धक्के खाकर, ट्रकों पर लदकर और पैदल अपने घर लौटे मजदूरों को पहले से अधिक पारिश्रमिक तथा सुविधाओं का प्रलोभन देकर एक बार फिर पंजाब, हरियाणा और दिल्ली भेजा जा रहा है। पिछले दस दिनों से रात के अंधेरे में रोजाना मजदूरों को बाहर ले जाने के लिए बसें खुल रहीं हैं।

मुजफ्फरपुर में मीनापुर के गंगटी गांव से सोमवार देर रात एक बस 50 मजदूरों को लेकर लुधियाना गई। सीतामढ़ी के बैरगिनिया के परसौनी गांव से भी सोमवार देर रात ही एक बस चार दर्जन मजदूरों को लेकर पंजाब रवाना हो गई। मुजफ्फरपुर के बोचहां प्रखंड के धनुखी नुनिया टोला के मेघनाथ ने बताया कि उसके पास रविवार को एक एजेंट आया था। पंजाब की फैक्ट्री में 11 हजार रुपये मासिक वेतन का वादा किए तो मेघनाथ समेत सात मजदूर तैयार हो गए। मेघनाथ ने बताया कि पहलेनौ हजार रुपये पारिश्रमिक दिया जाता था। मुजफ्फरपुर के मीनापुर प्रखंड के कोदरिया गांव से शनिवार को 25 मजदूर पंजाब रवाना हुए थे। मजदूर उमेश राम ने बताया कि साहूकार का कर्ज 25 हजार हो गया है।

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भोजपुर : अच्छी पगार का ऑफर पर फिलहाल लौटने की इच्छा नहीं 

भोजपुर के प्रवासी मजदूर अच्छी पगार का ऑफर मिलने के बावजूद फिलहाल वापस नहीं लौटने के मूड में नहीं हैं। वहीं जिनको कोई विकल्प नहीं दिख रहा है वे जाने की सोचने लगे हैं। केवटियां गांव जयराम कुमार को हरियाणा में महज 8 हजार रुपये पगार मिलती था और अब कंपनी मालिक की ओर से 20 हजार रुपये प्रति माह देने का ऑफर मिला है। साथ ही ट्रेन का टिकट भी मिल गया है। जयकुमार की तरह कई ऐसे हैं जिन्हें कंपनियों की ओर से अच्छा ऑफर दिया जा रहा है।बेगूसराय लौटे मजदूरों को दोगुनी से अधिक मजदूरी देने का प्रलोभन देकर काम पर बुलाया जा रहा है।

कुछ लौट रहे तो कई गांवों में ही काम खोज रहे

कैमूर के कुछ प्रवासी काम पर लौट रहे हैं तो कुछ गांव में ही काम तलाश कर परिवार की परवरिश करेंगे। गोपालगंज में चार-पांच दिनों से काफी संख्या में मजदूर बसों व बाहर की कंपनियों की ओर से भेजी गई गाड़ियों से जा रहे हैं। यूपी-बिहार के बॉर्डर के बलथरी चेकपोस्ट पर तैनात अधिकारियों के अनुसार हर रोज चार से पांच सौ की संख्या में मजदूर लौट रहे हैं।

जहानाबाद व अरवल से नहीं लौट रहे प्रवासी मजदूर

जहानाबाद में करीब 20 हजार से अधिक अप्रवासी मजदूर आए हैं। वे फिलहाल घर पर ही रहना चाह रहे हैं। भारथु गांव निवासी अर्जुन मोची, धामापुर गांव निवासी सुरेश मांझी ने बताया कि सूरत में काम करते थे। वहां कोरोना को लेकर कंपनी बंद कर दी गई थी। अभी सूरत जाने का इरादा नहीं है।

Input : Hindustan

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