भारत और चीन के बीच सीमा पर तनाव और बढ़ता दिखाई दे रहा है। गलवन घाटी में पीछे हटने की प्रक्रिया के दौरान दोनों देशों के सैनिकों के बीच हिंंसक झड़प हुई। इसमें भारतीय सेना के एक कमांडिंग ऑफिसर समेत तीन भारतीय सैन्यकर्मी शहिद हो गए हैं। दूसरी तरफ इस झड़प में चीनी सेना के भी पांच सैनिकों के मारे जाने और 11 जवानों के गंभीर तौर पर घायल होने की सूचना मिली है। हालांकि, चीन की सेना की तरफ से अभी तक कोई पुष्टि नहीं हुई है, लेकिन चीन सरकार के मुख्य पत्र ग्लोबल टाईम्स के वरिष्ठ पत्रकार ने सोशल साइट पर यह जानकारी दी है कि चीनी पक्ष को भी भारी क्षति उठानी पड़ी है।
Major Generals of India and China are talking to defuse the situation in the Galwan Valley, Ladakh and other areas after the violent face-off last night in which casualties have been suffered by both sides: Army Sources pic.twitter.com/yDyiluagMD
— ANI (@ANI) June 16, 2020
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दोनों सेनाओं के मेजर जनरल तनाव को कम करने के लिए बातचीत कर रहे हैं। समाचार एजेंसी एएनआइ के अनुसार भारतीय सेना ने इसकी जानकारी दी है। इसी बीच सेना प्रमुख जनरल एमएम नरवणे की पठानकोट सैन्य स्टेशन की यात्रा रद हो गई है। इस झड़प के मद्देनजर रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने तीनों सेना प्रमुखों और विदेश मंत्री डॉ. एस जयशंकर के साथ चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ जनरल बिपिन रावत के साथ बैठक की।
चीनी विदेश मंत्रालय का बयान
बहरहाल, चीन के विदेश मंत्रालय ने इस झड़प का दोष पूरी तरह से भारतीय सेना पर डालने का काम किया है। चीन के विदेश मंत्रालय ने कहा है कि सोमवार को भारतीय सेना ने नियंत्रण रेखा का गंभीर तौर पर उल्लंघन किया है। उन्होंने चीन के क्षेत्र में घुस कर चीनी सैनिकों पर हमला किया है। आगे यह भी कहा है कि भारत व चीन के बीच सीमा विवाद को सुलझाने के लिए व एलएसी पर शांति व स्थायित्व बहाली के लिए सहमत हैं। भारतीय पक्ष की तरफ से भी बताया गया है कि हालात बिगड़ने के बाद दोनो पक्षों के बीच जमीनी तौर पर बातचीत जारी है ताकि तनाव को खत्म किया जा सके।
पिछले कई दशकों से नहीं हुई ऐसी झड़प
भारत चीन वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर दोनो देशें के जवानों के बीच धक्का-मुक्की कोई नई बात नहीं है, लेकिन दोनो पक्षों की तरफ से पिछले चार दशकों से इस बात का ख्याल रखा जाता रहा है कि किसी जान-माल का नुकसान ना हो। सोमवार देर शाम कई घंटों तक गलवन क्षेत्र में दोनो तरफ से जिस तरह से झड़प हुई है वैसी झड़प पिछले कई दशकों से नहीं ही थी। इससे पहले एलएसी पर भारतीय जवान की मौत 45 वर्ष पहले 1975 में चीन के सैनिकों ने भारतीय सीमा में पेट्रोलिंग कर रहे असम राइफल्स के जवानों पर घात लगा कर हमला किया था और चार भारतीय जवान शहीद हो गए थे।
विवाद सुलझाने के मद्देनजर दोनों देशों के बीच बातचीत
चीन के सैन्य जमावड़े को लेकर विवाद सुलझाने के मद्देनजर दोनों देशों के बीच पूर्वी लद्दाख में ब्रिगेड कमांडर और बटालियन कमांडर स्तर की वार्ता के बीच देशों की सेनाओं के बीच हिंसक झड़प की खबर सामने आई है। सैन्य सूत्रों के अनुसार दोनों पक्षों के बीच लगातार कई दौर की वार्ता जारी रहने से कई और स्थानों पर दोनों देशों की सेनाएं सीमित रूप से पीछे हटी हैं।
महीने की शुरुआत से ही माहौल तनावपूर्ण
बता दें कि भारत और चीन के बीच पिछले महीने की शुरुआत से ही लद्दाख बॉर्डर के पास माहौल काफी तनावपूर्ण बना हुआ था। मई महीने के शुरुआत में चीनी सैनिकों ने भारत द्वारा तय की गई एलएसी को पार कर लिया था। चीनी सैनिकों ने पेंगोंग झील, गलवान घाटी के पास आकर अपने तंबू गाढ़ लिए थे। खबरों के मुताबिक, यहां पर करीब पांच हजार सैनिकों को तैनात किया गया था, इसके अलावा सैन्य सामान भी इकट्ठा किया गया था।