बिहार को दो हिस्सों में बांटतीं है गंगा नदी इस पार उत्तर बिहार के जिलों में सबसे अधिक कोरोना संक्रमित मरीज़ मुजफ्फरपुर में मिलें हैं अबतक कुल 526 पहले तो प्रवासीयों के आने से संक्रमित मरीज़ों कि संख्या में इज़ाफा होता गया लेकिन अब जब सबकुछ हम मुजफ्फरपुर वासीयों के हाँथ में आया तो दिखा दिए हमलोग अपना असली रुप। सोशल डिस्टेंसींग होता होगा जी कहीं के लिए मुजफ्फरपुर में वो भी जाम में फँस के ध्वनि प्रदूषण में अपना योगदान दे देता है और बीच-बीच में पान, पुरिया, खैनी और बलगम का थूक भी अगर मास्क है तो मास्क घसका के वरना फिर तो जैसे है वैसेही। मास्क के बदले देशी गमछा का भी इस्तेमाल करने से कतरा रहे हैं सब पता नहीं क्यों।

क्यों है मुजफ्फरपुर में लाॅकडाउन जरुरी?

अब जब ये खबर लिखा जा रहा है तभी मांग उठ रहा है कि कल घोषित किए गए चार कंटेनमेंट जोन से काम नहीं चल रहा है जिला में कई जगह और भी हैं जहाँ इकठ्ठे कोरोना संक्रमित मरीज़ मिल रहें हैं, अगर यहाँ इस स्तर पर चूक हुई तो कोरोना चक्र मजबूत होगा और कोरोना के खिलाफ अबतक कि लड़ी हुइ सारी जंग बेकार।भगवानपुर चौक स्थित सदर थाना को तो सिफ्ट ही करना पड़ा क्योंकी जमादार साहब ने जिम्मेदारी नहीं निभाई और परिवार के भतीजे के संक्रमित होते हुए भी खुद को अलग रख के कोरोना चक्र तोड़ने के बजाय थाने जा कर सहकर्मीयों से मुलाकात करना जरुरी समझा था। निलंबित कर दिए गए जमादार साहब के वजह से पुरा थाना संकट में है अभी जिसे शिफ्ट तो कर दिया गया है दूसरे जगह।

मुजफ्फरपुर के लिए क्यों है जरुरी दूबारा लाॅकडाउन?

घनी आबादी के साथ गैरजिम्मेदार नागरिक जो ऑटो में बैठने से लेकर शब्जीमंडी में सब्जी खरीदने और बैंक कि लाइनों तक कोरोना संक्रमण से बचने के लिए ज़ारी किए गए दिशानिर्देशों का पालन नहीं कर रहें हैं। जिला प्रशासन कि सख़्त कारवाई के तहत छापेमारी करके तीन चार दिनों से अनियमितताओं पर नकेल कसने का प्रयास भी संक्रमित मरीज़ों कि संख्या में कोई अंतर नहीं ला पा रहा है,ऐसे में पटना के तर्ज पर सात दिनों का लाॅकडाउन मुजफ्फरपुर अपनों के लिए सहने के लिए तैयार हैं और सोशल मीडिया के विभिन्न पोस्ट ट्विट पर लगातार उठा रहें हैं।

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