उत्तर बिहार के मुजफ्फरपुर जिले में बाढ़ से घिरी करीब डेढ़ लाख आबादी के लिए शनिवार को महज 20 सरकारी चूल्हे जले। बाढ़ पीड़ितों का पेट भरने की यह कोशिश ऊंट के मुंह में जीरा साबित हुआ है। जिला प्रशासन ने शुक्रवार को ही 26 सामुदायिक किचन शुरू करने का दावा किया था, लेकिन शनिवार को हिन्दुस्तान की पड़ताल में 20 सामुदायिक किचन ही चलते पाये गए। हालांकि अधिकारियों ने दावा किया है कि शनिवार शाम तक सभी सामुदायिक किचन शुरू कर दिया है।
डीएम डॉ. चंद्रशेखर सिंह ने गायघाट में छह जगह पर सामुदायिक किचन शुरू करने का आदेश समीक्षा में दिया था। लेकिन बाढ़ पीड़ितों की पीड़ा यह रही कि सर्वाधिक बाढ़ प्रभावित शिवदाहा में ही शनिवार की दोपहर तक सामुदायिक किचन शुरू नहीं हो पाया। हालांकि शुक्रवार की रात से लदौर के रजुआटोल, बरूआरी के पंजाबी चौक व केवटसा के मिश्रौली मिडिल स्कूल में सामुदायिक किचन शुरू कर दिया गया। शुक्रावर को सामुदायिक किचन में चावल व आलू सोयाबीन की सब्जी बनी, तो शनिवार को खिचड़ी लोगों को दिया गया।
इधर, भीषण बाढ़ व हजारों के घिरे होने के बावजूद औराई में दो जगह ही सामुदायिक किचन शनिवार को शुरू हो पाया। औराई के बभनगामा पश्चिमी में बागमती के उत्तरी व दक्षिणी तटबंध व बेनीपुर में सामुदायिक किचन शुरू कर दिया गया है। जहां किचन शुरू भी किया गया है, वहां सोशल डिस्टेंसिंग का अनुपालन नहीं किया जा रहा है।
बभनगावां पश्चिमी पहुंचे डीसीएलआर पूर्वी स्वप्नील व बीडीओ बिनोद कुमार प्रसाद ने मौके पर जाकर निरीक्षण किया व मेन्यू के साथ सोशल डिस्टेंसिंग व साफ-सफाई का निर्देश दिया।
कांटी प्रखंड के कोल्हुआ पैगम्बरपुर व लसगरीपुर के मिठनसराय व माधोपुर के बाढ़ प्रभावित लोगों के लिए शनिवार को सामुदायिक किचेन एनएच 57 स्थित बाढ़ राहत कैम्प में पर शुरू हुआ। शनिवार को यहां खिचड़ी व चोखा दिया गया। एसडीओ, बीडीओ व सीओ ने कैम्प का निरीक्षण किया।
बोचहां में बूढ़ी गंडक से भारी तबाही में लोगों के घिरने के बावजूद अभी तक सामुदायिक किचन शुरू नहीं किया गया है। बूढ़ी गंडक व पुरानी बागमती के विकराल रूप से पूरा प्रखंड बाढ़ की चपेट में है। इस बीच अंचलाधिकारी के छुट्टी पर चले जाने के कारण राहत कार्य ठप है। डीएम ने प्रखंड विकास पदाधिकारी को ही सीओ का चार्ज दिया है। बीडीओ सुभद्रा कुमारी ने बताया कि वे आज से व्यवस्था देखेंगी।
बंदरा प्रखंड के मुन्नी-बैंगरी एवं हत्था पंचायत के सभी इलाकों में बागमती नदी की तबाही जारी है। बागमती नदी के चपेट में आने की वजह से पटसारा, तेपरी, मतलूपुर, बंदरा आदि इलाकों में भी कोहराम की स्थिति है। बूढ़ी गंडक के ढाब एरिया के सैंकड़ों परिवार विस्थापित हैं। ऊंचे स्थलों, सरकारी स्कूल, एपीएचसी आदि स्थलों पर शरण लिए हैं। लेकिन यहां सामुदायिक किचन अभी तक शुरू नहीं हुआ है। बाढ़ पीड़ितों में प्रखंड के अधिकारियों के प्रति गहरी नाराजगी है। बंदरा सीओ रमेश कुमार एवं बीडीओ अलख निरंजन का बताना है कि अभी बाढ़ की स्थिति नहीं है। निचले इलाकों में पानी है। राहत वितरण या सामुदायिक किचेन खोलने जैसे हालात अभी नहीं है।
साहेबगंज के बाढ़ प्रभावित रूप छपरा पंचायत में तिरहुत तटबंध पर शनिवार को तीन, हुस्सेपुर में दो तथा हुस्सेपुर रत्ती में एक जगह पर सामुदायिक किचेन की शुरुआत की गई है। किचन से लोगों को शुक्रवार को चावल दाल व सोयाबीन आलू की सब्जी मिली थी। शनिवार को भी भोजन की तैयारी में सभी जूटे थे। लेकिन सोशल डिस्टेंसिंग व साफ-सफाई का खयाल यहां भी नहीं रखा गया था।
जहां भी लोग बाढ़ से घिरने के बाद परेशानी में हैं, वहां सहायता पहुंचायी जा रही है। जहां-जहां सामुहिक रूप से चूल्हे जलने बंद हो गए हैं वहां सामुदायिक किचन शुरू कर दिया गया है। सामुदायिक किचन से संबंधित रिपोर्ट आने पर कुल संख्या ज्ञात हो पाएगी। -अतुल कुमार वर्मा, अपर समाहर्ता, आपदा प्रबंधन
Input : Hindustan