प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) ने रविवार को अपने मासिक रेडियो कार्यक्रम ‘मन की बात’ (Mann Ki Baat) के 67वां संस्करण में मोती की खेती (Pearl Cultivation) करने वाले की तारीफ की. पीएम मोदी ने कहा कि बिहार के कुछ युवा पहले सामान्य नौकरी करते थे. फिर वे मोती की खेती करने लगे. अब वह खुद तो कमा रहे हैं, साथ ही प्रवासियों को भी खेती के बारे में जानकारी दे रहे हैं. अगर आप को लगता है कि अच्छी कमाई नहीं हो रही है तो मोती की खेती में हाथ आजमा सकते हैं. मोती की खेती के लिए सरकार से ट्रेनिंग भी ले सकते हैं यही नहीं बैंकों से मोती की खेती के लिए आसान शर्तों पर लोन भी लिया जा सकता है.आइए जानते हैं मोती की खेती के बारे में सबकुछ…

Pearl Farming Information For Beginners | Agri Farming

आजकल मोती की खेती चलन तेजी से बढ़ रहा है. कम मेहनत और लागत में अधिक मुनाफे का सौदा साबित हो रहा है. मोती की खेती उसी प्रकार से की जाती है जैसे मोती प्राकृतिक रूप से तैयार होता है. मोती की खेती करने के लिए इसे छोटे स्तर पर भी शुरू किया जा सकता है. मोती की खेती के लिए सबसे अनुकूल मौसम शरद ऋतु यानी अक्टूबर से दिसंबर तक का समय माना जाता है. इसके लिए आपको 500 वर्गफीट का तालाब बनाना होगा. तालाब में आप 100 सीप पालकर मोती उत्पादन शुरू कर सकते हैं. प्रत्येक सीप की बाजार में कीमत 15 रुपए से 25 रुपए होती है. वहीं ताबाल में स्‍ट्रक्‍चर सेट अप पर करीब 15 हजार रुपए तक का खर्च आता है. इसके अलावा वाटर ट्रीटमेंट पर भी करीब 1,000 रुपए और 1,000 रुपए के उपकरण भी लेने होते हैं.

Pearl Farming | Pearl farming is the industry responsible fo… | Flickr

कितनी हो सकती है कमाई

एक सीप से एक मोती 15 से 20 महीने बाद तैयार होता है, जिसकी बाजार में कीमत 300 रुपए से 1,500 रुपए तक मिल सकती है. बेहतर क्वालिटी और डिजाइनर मोती की कीमत इससे कहीं अधिक 10 हजार रुपए तक अंतर्राष्ट्रीय बाजार में मिल जाती है. ऐसे में अगर एक मोती से औसतन 1,000 रुपए मिल जाता है तो कुल मिलाकर 1 लाख रुपए तक की कमाई आसानी से हो सकती है. सीप की संख्‍या को बढ़ाकर आप चाहें तो अपनी कमाई भी बढ़ा सकते हैं.

ट्रेनिंग की होगी जरूरत

मोती की खेती थोड़ा वैज्ञानिक खेती है. इसलिए इसे शुरू करने से पहले आपको प्रशिक्षण की जरूरत पड़ेगी. इंडियर काउंसिल फॉर एग्रीकल्‍चर रिसर्च के तहत एक नया विंग बनाया गया है. इस विंग का नाम सीफा यानी सेंट्रल इंस्‍टीट्यूट ऑफ फ्रेश वॉटर एक्‍वाकल्‍चर है. यह मोती की खेती की ट्रेनिंग देती है. इसका मुख्यालय उड़ीसा की राजधानी भुवनेश्‍वर में है. यहां पर कोई भी 15 दिनों की ट्रेनिंग ले सकता है. इस ट्रेनिंग के बाद आपको सीप की व्यवस्था करनी होगी. यह सीप आप सरकारी संस्‍थानों से या मछुआरों से ले सकते हैं.

सीप को कैसे करें तैयार

सबसे पहले इन सीप को खुले पानी में डालना पड़ता है. फिर 2 से 3 दिन बाद इन्हें निकाला जाता है. ऐसा करने से सीप के ऊपर का कवच और उसकी मांसपेशियां नरम हो जाती हैं. लेकिन इन सीप को ज्‍यादा देर तक पानी से बाहर नहीं रखना चाहिए. जैसे ही सीपों की मांशपेशियां नरम हो जाएं इनमें मामूली सर्जरी के माध्यम से उसकी सतह पर 2 से 3 एमएम का छेद किया जाता है. इसके बाद इस छेद में से रेत का एक छोटा सा कण डाला दिया जाता है. जब इस तरह से सीप में रेत का कण डाला जाता है, तो सीप में चुभन होती है. इसके चलत सीप अपने अंदर से निकलने वाला पदार्थ छोड़ना शुरू कर देता है. अब 2 से 3 सीप को एक नायलॉन के बैग में रखकर तालाब में बांस या किसी पाईप के सहारे छोड़ा जाता है. बाद में इस सीप से 15 से 20 महीने के बाद मोती तैयार हो जाता है. अब कवच को तोड़कर मोती निकाला जाता है.

Input : News18

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