कहते है चांद पर भी चले जाओ तो वहां भी बिहारी मिलेंगे. दुनिया में हर जगह घूम आओ ऐसी कोई जगह ना हो जहाँ बिहारी ना मिले. चलिये प्राउड बिहारी का मुद्दा तो बहुत जोड़दार तरीका से चल रहा है लेकिन एक शिकायत है और यह बात आप भी बखूबी जानते है. बिहार के छोटे जिलों के नाम देश के अन्य राज्यों में लोग कम ही जानते है. पटना औऱ बोधगया बिहार का सबसे प्रसिद्ध जिला है. इन दोनों जिला का नाम देश मे हर लोगो को पता है लेकिन तक़रीबन चालीस जिला और 45 हजार गांव वाले बिहार की पहचान को हम लोगों ने बेहद सीमित कर दिया है.

Saryaganj Tower

मुजफ्फरपुर, हाजीपुर, सारण, मोतिहारी समेत अन्य जिलावालो से भी अन्य प्रदेश में कोई पूछ दे कि भैया कहा से हो तो पता नहीं ये लोग क्यों पटना बताते है.

हकीकत है मैंने भी कई लोगो को अपना घर पटना बताते सुना है जो लोग मूलतः मुजफ्फरपुर, सारण, हाजीपुर और ऐसे ही अन्य जगहों से है और यही कारण है कि हम अपनी धरती को उचित पहचान नहीं दिला पा रहे.

मुजफ्फरपुर को अब भी कई राष्ट्रीय मीडिया वाले मुजफ्फरनगर लिख देते है. ऐसा आप देख सकते है बड़े कांडों के खबर चलाते वक्त भी अन्य लोगो ने कई बार मुजफ्फरपुर के जगह मुजफ्फरनगर लिखा है. अब जब यहां के मूल निवासी ही प्रदेशो में अपना घर का पता पटना बताने लगें तो मुजफ्फरपुर की पहचान भला क्यों ना बुरा मानेंगी.

अगर आप भी प्रदेश में अपना घर का जिला बताने में लजाते है तो ठहरिए आप अपने मिट्टी के साथ बेइमानी कर रहे है- आपने कभी किसी को अपना गृह ज़िला मुजफ्फरपुर बताया हो और वो गलती से उसे मुजफ्फरनगर कह रहा हो तो टोकिये आप ही अपने शहर के पहचान है हम ही प्रदेश में मुजफ्फरपुर के ब्रांड अम्बेसडर है.

अभिषेक रंजन, मुजफ्फरपुर में जन्में एक पत्रकार है, इन्होंने अपना स्नातक पत्रकारिता...