मुजफ्फरपुर में पुर्व में भी घर में सो रही बच्चियों के अगवा कर लेने का मामला आता रहा है,जब शहर के बीचो-बीच घर में सो रही नवरुणा नामक बच्ची को बिस्तर के पास की खिड़की से खींच अपराधी अगवा कर ले जाते हैं। ताजा मामला है मुजफ्फरपुर के ही सदर थाने के दीघरा रामपुर साह गांव का जहाँ गुरुवार की मध्य रात्रि एक व्यवसायी के घर पर नकाबपोश डकैतों ने धावा बोल दिया। सात डकैत चहारदीवारी फांदकर अंदर घुसे,हथियार के बल पर बंधक बनाकर लूट-पाट मचाने के बाद घर की 17 वर्षीय बेटी को उठा कर ले गए,और जाते हुए हाइवे पर दो राउंड फायरिंग भी किया। अभी घटना घटे लगभग दो दिन बीतने के बाद भी बच्ची की कोई जानकारी नहीं मिलने से परिजन हताश हैं और शहर और बाकी आस-पास के इलाकों में भय का माहौल है।
#AD
#AD
सवाल पुलिस की कार्य प्रणाली पर भी उठ रहा है,हाईवे से सटे दीघरा गाँव में लूटपाट के साथ घर से बच्ची का अपहरण हो जाना पुलिस के रात्री गश्त कि पोल खोल रहा है,और घटना के बाद भी लोगों द्वारा सड़क जाम किए बगैर कारवाई शुरू नहीं कि जा सकी थी। ज़िलेवासीयों को चोरी,लूट,डकैती के भय के बीच रहना अब सामान्य सा लगता है लेकिन अगर घर में सो रही बच्चियों की सुरक्षा सुशासन के राज में सुनिश्चित नहीं कराया जा सकता है तो कैसे माना जाए कि बिहार में बहार है और नीतीश कुमार की सरकार है?
मुजफ्फरपुर में ऐसा पहली बार नहीं हुआ है कि घर में सो रही बच्चियों पर हमला हुआ है या उन्हें घर से अगवा कर लिया गया है पुर्व में भी मुख्य शहर के बीच से नवरुणा नामक बच्ची को रात में ही अगवा कर लिया गया था जिसकी CBI और अन्य उच्च स्तरीय जांच के बावजूद आजतक पता नहीं लगाया जा सका है।
चुनाव का समय है राजनीतिक नफ़ा नुकसान के लिए पीड़ित परिवार के दर्द को चूल्हे में जोड़कर उस पर वोट कि चाशनी डालकर सत्ता के पकवान चखने का प्रयास भी घटना के चौबीस घंटे के भीतर ही देखने मिल गया,जब घर पहुँच नेता सहित उनकी फौज ने दर्द बांटने के लिए पहले पहुंचने का तगमा और बेसुध बेहाल परिजनों को ढांढस बंधाते दुःख साझा करते हुए फोटो सेशन शुरू करा सोशल मिडिया के दिवार पर चश्पा दिया। लेकिन पुर्व के किसी मामले में नेताओं के ज़ल्दी पहुंच के दुःख साझा करते हुए तस्वीरों से आजतक किसी मामले में न्याय होता हुआ नहीं दिखा।
आए दिन महिलाओं और बच्चियों पर हो रहे हमले से मुजफ्फरपुर बदनाम होता जा रहा है। कभी अहियापुर में घर में घुस कर बेखौफ़ अपराधियों द्वारा ज़िंदा जला देने का मामला हो या करजा थाना क्षेत्र में हुए महिला के रेप का मामला,महिलाओं कि सुरक्षा ज़िले में एक बहुत बड़ी समस्या के रुप में उभरा है जिसे पुलिस प्रशासन को मुस्तैदी से निबटते हुए लोगों को एक भयमुक्त समाज सुनिश्चित कराना चाहिए।बच्ची की सकुशल वापसी कि बाट जोहते परिजनों और शहरवासीयों के बीच आशा है कि पुलिस प्रशासन जल्द से जल्द मामले का उद्भेदन कर के बच्ची की रिहाई और दोषी पर कारवाई कर ज़िले में व्याप्त भय के वातावरण को दूर करेगी,लेकिन अब अपनी बहन बेटीयाँ जब घर में सुरक्षित नहीं रह पा रहीं हैं तो सामान्य लोगों के बात-चीत में डर सुनाईं देने लगा है।