कहां पताही हवाई अड्डे के जीर्णोद्धार की राह देख रहे थे मुजफ्फरपुरवासी, कहां एम्स भी मिलते – मिलते रह गया। बात तो ऐसी ही है, परीक्षा में प्रश्न सभी बनाए थे और मास्टर साहेब ने पास करते – करते फेल कर दिया। ऐसे बच्चे और जनता की हालत कोई कैसे बयां करें। बिहार की राजनीति को धुर – धुरंधर अर्थशआस्त्री नेता देने के बावजूद मुजफ्फरपुर को अपनी खुशियों के राह बाटते रहना पड़ रहा है। शायद चिराग तले अंधेरा हो चला है।
पहले दिलासा मिलता, अब होगा- तब बनेगा, देखते – देखते एयरपोर्ट की जगह कोविड -19 हाॅस्पीटल ने ले ली। और हवाई – जहाज उड़ान के सपने धड़े के धड़े रह गए। अब तो एम्स भी मिलने से रहा। शायद मुजफ्फरपुर स्मार्ट सिटी में नाम जुड़ने से ही खुश हैं। और यही खुशी सारे दुखों की जड़ बनी हुई है।
वोट देने वाली जनता हाय – तौबा मचाती, उससे पहले ही मंत्री जी ने सड़क निर्माण योजनाओं तबातोड़ घोषणा शुरू कर दी। पहले कांवड़िया पथ, फिर सड़क माध्यम से पंचायतों को शहर से जोड़ने की योजना। यह सब परिवर्तनकारी योजनाओं का उद्घाटन मंत्रीजी ने बड़ी सजगता से किया, ताकि जनता की सहूलियत में दो- चार चाँद लगे। हलांकि सूत्रो के माध्यम खबरें यह भी आ रही है कि मंत्री जी मोतीझील में मनोरंजन के लिए फव्वारे भी लगवा रहे हैं, ताकि मनोरम दृश्य को दो दिव्य नेनों से दृष्टिगोचर करते हुए जनतंत्र के मालिक उस वैतरणी क्षेत्र से गुजर सकें, गुजरने का तात्पर्य राह पार करने से हैं।
कितने दिनों तक लीची के नाम पर झूठी दिलासाओं के सहारे जीवन- यापन करें, खासकर युवा वर्ग लीची, लहठी के नाम से आगे बढ़ना चाहती है। सकारात्मकाता को ध्यान में रखते हुए युवा अब आईआईएम की मांग कर रहे हैं, क्योकि एयरपोर्ट और एम्स तो गयो। और अब तो विधानसभा ट्वैटी- ट्वैंटी भी जोड़ो पर है। जहां जनता के सामने कैंडिडेंट कम है, वहीं विपक्षियों के पास आरोप लगाने के लिए बात कम पड़ रहे है। शहर की सड़के नीच पर, नालियां ऊंची , नालियों के पानी सड़को पर जमी है, और फिर नहर – निगम तो हरसंभव प्रयास कर ही रही है। नहर – निगम के इतने मशक्कत के बाद भी स्थिति सुधरने की उम्मीद महीनें भर बाद ही है। लेकिन एयरपोर्ट और एम्स के नाम पर छले जाने के बाद जो नागरिकों की पीड़ा है, उसे सुनने वाला कहां कोई…