राजस्थान के कोटा की कचौरी, बीकानेर के रसगुल्ले व नमकीन और जयपुर के घेवर देश-दुनिया में प्रसिद्ध हैं। कचौरी हो या फिर रसगुल्ले और नमकीन अब तक यहां के हलवाई पारंपरिक तरीके से इन्हें बनाते रहे हैं। लेकिन अब ये हलवाई अपनी दुकानों पर बीएससी केमिस्ट्री (बेचलर ऑफ साइंस) पास युवकों को नौकरी पर रखने लगे हैं। ऐसा इन्हें सरकार के आदेश पर करना पड़ा है। अब 1 नवंबर से फूड लाइसेंस उन्हें जिले का चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी नहीं दे सकेगा।

Kolkata Club Style Baked Kachori Aloo Recipe by Archana's Kitchen

फूड लाइसेंस के लिए उन्हें फूड सेफ्टी एंड स्टेंडर्ड आथोरिटी ऑफ इंडिया (एफएसएसएआई) नई दिल्ली का दरवाजा खटखटाना होगा। इसके साथ ही पापड़, भुजिया, रसगुल्ला, कचौरी, नमकीन व मिठाई के व्यापार को प्रोपराइटर एक्ट में शामिल करने से जुड़ी कई ऐसी शर्तें इसमें जुड़ गई हैं, जिन्हें पूरा करना प्रदेश के छोटे व्यापारियों के लिए किसी भी सूरत में संभव नहीं होगा। इस एक आदेश से प्रदेशभर के 50 लाख लोगों के रोजगार पर संकट खड़ा हो जाएगा। एक कचौरी बनाने वाले को भी फूड लाइसेंस लेने के लिए दुकान में बीएससी केमिस्ट्री पास युवक को तकनीकी इंचार्ज रखना होगा, सालाना लाइसेंस फीस 100 रुपए की जगह 7500 हजार रुपए देनी होगी। ऐसे ही नियम घरों में पापड़ बनाने वाले, रसगुल्ला का छोटा व्यापार करने वाले हर व्यापारी पर लागू होंगे।

Moong Dal Kachori Recipe | How to Make Dal Kachori - Catch Foods

जिलों में नहीं मिलेगा अब फूड लाइसेंस

जयपुर केटरिंग एसोसिएशन के जितेंद्र कायथवाल और बीकानेर जिला उधोग संघ के अध्यक्ष द्वारका प्रसाद पच्चीसिया फूड लाइसेंस के नए आदेश का विरोध करते हैं। उनका कहना है कि लॉकडाउन में लघु उद्योगों पर संकट आया हुआ है। इस आदेश के बाद नए लाइसेंस नंबर लेने होंगे, जो पहले तो छोटे व्यापारियों के लिए संभव ही नहीं है।

अगर किसी ने सारी कागजी कार्रवाई कर नए लाइसेंस ले भी लिए तो लाखों रुपए का पैकेजिंग मेटेरियल काम नहीं आएगा। ऐसे छोटे-छोटे कई नुकसान मिलकर बड़े होंगे और हजारों छोटी इकाइयां बंद होकर बेरोजगारी को बढ़ावा देगी। उन्होंने कहा छोटी दुकान पर एक कचौरी बनाने वाले को सबसे पहले 7500 रुपए फीस देकर ऑनलाइन आवेदन करना होगा। उसे बीएससी केमेस्ट्री पास युवक को तकनीकी इंचार्ज की नियुक्ति देनी होगी, जो उसके बने हर माल की जांच करेगा। 4-5 हजार रुपए देकर पानी की जांच करवाकर उसकी रिपोर्ट सब्मिट करनी होगी।

अभी तक सालाना 2 हजार किलो माल से कम उत्पादन करने वाले व्यापारी को फूड लाइसेंस हर जिले का चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी दे सकता था। 2 हजार किलो सालाना उत्पादन होने पर लाइसेंस की प्रक्रिया एफएसएसआई, नई दिल्ली से ही होती थी। ऐसे में इस आदेश से बड़े व्यापारियों को कोई परेशानी नहीं आएगी। 2 हजार किलो से कम जिस व्यापारी का भी सालाना माल का टर्न ओवर कम है, उन सभी अब नए लाइसेंस लेना होगा।

Source : Dainik Jagran

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