केंद्र सरकार के नए कृषि कानूनों के खिलाफ दिल्ली की विभिन्न सीमाओं पर डटे प्रदर्शनकारी किसानों ने 8 दिसंबर को भारत बंद का ऐलान किया है और कहा है वो किसी भी कीमत पर अपनी मांगों से समझौता नहीं करेंगे. किसानों ने कहा कि वो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ‘मन की बात’ सुनते रहे हैं. अब पीएम किसानों के मन की बात सुनें.

दिल्ली में आयोजित प्रेस कॉन्फ्रेंस में रविवार को किसानों ने भारत बंद की रूपरेखा रखी. किसान नेता बलदेव सिंह निहालगढ़ ने कहा कि ये आंदोलन सिर्फ पंजाब का न होकर पूरे देश में बढ़ चुका है. मंत्री तिलमिलाए हुए हैं कि क्यों भारत बंद का आह्वान किया? बलदेव सिंह निहालगढ़ ने कहा कि 8 दिसंबर को सुबह से शाम तक बंद होगा. चक्का जाम 3 बजे तक होगा. एम्बुलेंस और शादियों के लिए रास्ता खुला रहेगा. शांतिपूर्ण प्रदर्शन रहेगा. चंडीगढ़ सेक्टर 17 के ग्राउंड में किसान 7 तारीख को बड़ा प्रदर्शन करेंगे.

बलदेव सिंह निहालगढ़ ने किसानों के समर्थन में मेडल वापस का ऐलान करने वाले खिलाड़ियों का धन्यवाद किया. उन्होंने कहा कि जो मेडल वापस कर रहे हैं, उनका धन्यवाद. गुजरात से किसान आये थे, उनका धन्यवाद. आंदोलन तेज करना मजबूरी बन गया है, सरकार तीन कानून बदलने के लिए अग्रसर नहीं है. हम लगातार आंदोलन करेंगे. 8 तारीख के आंदोलन में सबको शामिल होना चाहिए.

पीएम मोदी सुनें किसानों के मन की बात

एक अन्य किसान नेता जगमोहन ने कहा कि किसान नेताओं के बीच मंथन यही हुआ कि हम अपनी मांगों से कोई समझौता नहीं करेंगे. मोदी के मन की बात हम सुन रहे हैं, अब उनको हमारे मन की बात सुननी है.

प्रेस कॉन्फ्रेंस में योगेंद्र यादव ने कहा कि संयुक्त किसान मोर्चा में शामिल सभी संगठन एक बात कह रहे हैं कि 3 कानून वापस लिए जाएं. किसान अडिग हैं. केवल भारत बंद के बारे में सूचना देना चाहता हूं. मैं सबको धन्यवाद और अनुरोध करना चाहता हूं कि आंदोलन में शामिल हों. एडिटर्स गिल्ड ऑफ इंडिया का धन्यवाद. कृपया इस आंदोलन को बदनाम न करें. इसलिए धन्यवाद कहना है.

योगेंद्र यादव ने कहा कि महराष्ट्र से गुजरात और तमाम छात्र संगठन, और व्यापार मंडल ने 8 तारीख के बंद का समर्थन किया है. हरियाणा और पंजाब में भी मंडियां बंद रहेंगी. चक्का जाम 3 बजे तक, दूध सब्जी सब बंद रहेगा. बाक़ी पूरे दिन भारत बंद रहेगा. प्रेस कॉन्फ्रेंस में किसान नेताओं ने एकसुर में कहा कि एक कानून वापस लेने से नहीं, तीनों कानून वापस करो. एमएसपी के ऊपर सरकार को मानना पड़ेगा. ये सबके सामने होगा.

सरकार की चुनौती बढ़ी

बहरहाल, नए कृषि कानून के खिलाफ किसान का आक्रोश बढ़ता जा रहा है. अब सरकार से इनकी सीधे एक ही मांग है कि तीनों कृषि कानूनों को वापस लेना होगा. हालांकि कृषि राज्यमंत्री ने अब किसानों के गुस्से के पीछे विपक्ष की साजिश को वजह बताया है तो वहीं कमोबेश पूरा विपक्ष मोदी सरकार के खिलाफ किसान आंदोलन के नाम पर लामबंद हो रहा है.

असल में, किसान आंदोलन का आज ग्यारहवां दिन है. पहले दिन से जिन मुद्दों पर सरकार और किसानों में गतिरोध बना था वो अभी तक जस का तस है. नए कृषि कानून पर समाधान और सुलह की अगली कोशिश 9 दिसंबर को है.

लेकिन उससे पहले 8 दिसंबर को सरकार के सामने किसानों के बुलाए भारत बंद से निपटने की चुनौती है. चैलेंज इसलिए बड़ा होता जा रहा है क्योंकि आक्रोशित किसानों के साथ देश के विपक्षी दलों की ताकत भी जुटती जा रही हैं क्योंकि एक-एक करके पूरा विपक्ष सरकार के खिलाफ लामबंद हो रहा है.

Source : Aaj Tak

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