स्टाइपेंड में वृद्धि की मांग को लेकर पीएमसीएच समेत राज्य के सभी सरकारी मेडिकल कॉलेज हॉस्पिटल के जूनियर डॉक्टर और इंटर्न बुधवार से बेमियादी हड़ताल पर चले गए। कोरोना की ड्यूटी में लगे जूनियर डॉक्टरों को छोड़कर सभी विभागों में जूनियरों ने काम ठप कर दिया। हड़ताल से पीएमसीएच में पटना सिटी की एक मरीज मीना देवी की मौत हो गई।

उसके बेटे उदय ने बिलखते हुए कहा कि देर सबेर डॉक्टरों का तो पैसा बढ़ जाएगा पर मेरी मां तो अब नहीं लौटेगी। इधर, डॉक्टरों को काम पर वापसी के लिए बुधवार की सुबह प्राचार्य व अधीक्षक के साथ पहली दौर की वार्ता हुई पर कोई नतीजा नहीं निकला। गुरुवार को फिर वार्ता होगी। जूनियर डॉक्टरों ने कहा कि जब तक उनकी मांगे नहीं मानी जाती हैं, वे हड़ताल पर डटे रहेंगे। कहा कि राज्य के स्वास्थ्य सचिव से मिलने की कोशिश की गई थी पर वे नहीं मिले।

मौखिक नहीं, लिखित आश्वासन की मांग कर रहे जूनियर डॉक्टर

दरअसल 2017 में सरकार की तरफ से यह आदेश जारी हुआ था कि हर तीन साल पर जूनियर डॉक्टरों और इंटर्न के स्टाइपेंड में इंक्रीमेंट किया जाएगा लेकिन जूनियर डॉक्टरों की स्टाइपेंड में वृद्धि नहीं की गई। जेडीए का कहना है कि जबतक लिखित आश्वासन नहीं मिलेगा तब तक वे हड़ताल पर रहेंगे। मौखिक पर नहीं लौटेंगे। कोरोना मरीजों के इलाज में जिनकी ड्यूटी लगी है वे जूनियर काम कर रहे हैं।

इसकी पुष्टि जेडीए के अध्यक्ष डॉ. हरेंद्र कुमार और सचिव डॉ. कुंदन सुमन ने की। कहा कि अभी जूनियर को प्रथम वर्ष में 50 हजार द्वितीय वर्ष में 55 और तृतीय वर्ष में 60 रुपए बतौर स्टाइपेंड मिलता है। इनकी मांग है कि इसे बढ़ाकर 80 हजार, 85 हजार और 90 हजार किया जाए या फिर आईजीआईएमएस में जो जूनियर डॉक्टरों को स्टाइपेंड दिया जाता है।

परेशानी : ओपीडी में मरीजों-परिजनों को घंटों करना पड़ा इंतजार

डॉक्टरों की हड़ताल से सबसे अधिक परेशानी ओपीडी आने वाले मरीजों को हुई। जेडीए सूत्रों की माने हड़ताल की वजह से 20 ऑपरेशन भी स्थगित करने पड़े। हालांकि अस्पताल प्रशासन का दावा है कि प्रस्तावित 10 ऑपरेशन हुए। पीएमसीएच ओपीडी में दिखाने के लिए मरीजों घंटों इंतजार करना पड़ा।

ओपीडी मरीजों की लंबी कतार लगी रही। ओपीडी और इमरजेंसी में सभी सीनियर डॉक्टर, सीनियर रेजिडेंट, पीओडी (फिजिशियन ऑनड्यूटी) और एसओडी (सर्जन ऑनड्यूटी ) तैनात थे। कुछ मरीज के परिजन अस्पताल आए तो जरूर पर हड़ताल सुनकर मरीज को लेकर वापस लेकर चले गए।

Input: Dainik Jagran

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