कोरोना काल में मीनापुर अंचल में क्वारंटाइन सेंटरों में करोड़ों की गड़बड़ी के मामले में पूर्व सीओ ज्ञानप्रकाश श्रीवास्तव पर कार्रवाई तय मानी जा रही है। वे वर्तमान में सिवान जिले के जीरादेई अंचल में सीओ के पद पर कार्यरत हैं। जांच रिपोर्ट में गड़बड़ी को लेकर उनकी भूमिका पर सवाल उठाए गए थे। रिपोर्ट के बाद डीएम प्रणव कुमार ने अपर समाहर्ता, आपदा प्रबंधन अजय कुमार को आगे की कार्रवाई के लिए कहा था।

अपर समाहर्ता ने इस मामले में पूर्व सीओ के साथ प्रखंड कार्यालय को भी कठघरे में खड़ा किया है। क्योंकि क्वारंटाइन सेंटरों में अधिक खर्च होने से दूसरी योजना की राशि का विचलन इस मद में कर दिया गया। जबकि इसके लिए कोई आदेश जारी नहीं किया गया था। इसके अलावा इसे आपराधिक श्रेणी में भी लाने की बात कही गई है।

मालूम हो कि मीनापुर विधायक राजीव कुमार उर्फ मुन्ना यादव के मामला उठाने पर डीएम द्वारा गठित जांच टीम ने प्रखंड के क्वारंटाइन सेंटरों में करीब दो करोड़ 69 लाख रुपये की गड़बड़ी पकड़ी थी। रिपोर्ट में सबसे महत्वपूर्ण बात यह सामने आई कि जिस टेंट हाउस के नामपर एक करोड़ 71 लाख रुपये खर्च दिखाया गया उसका अता-पता ही नहीं है। इसके अलावा अन्य जिन एजेंसियों को काम दिया उनके पास जीएसटी नंबर नहीं पाया गया।

सबकुछ नियम के विरुद्ध पाया गया

जांच टीम ने पाया कि प्रखंड में 108 क्वारंटाइन सेंटर संचालित किए गए। यहां कुल 6791 प्रवासी निबंधित थे। इन क्वारंटाइन सेंटरों के संचालन के लिए अग्रिम के रूप में करीब पौने तीन करोड़ रुपये विभिन्न एजेंसियों को दे दिए गए। इसमें राकेश कुमार (राकेश टेंट हाउस) को सबसे अधिक 92 लाख रुपये अग्रिम दिए गए। जांच में इस टेंट हाउस का कोई अता-पता नहीं चला। इसके अलावा चार अन्य एजेंसियों को राशि दी गई। इनमें से किसी के पास जीएसटी नंबर नहीं था। सभी एजेंसी की ओर से चार करोड़ 23 लाख 75 हजार रुपये व्यय दिखाया। जांच टीम ने प्रवासियों की संख्या के आधार पर खर्च का आकलन किया तो यह आंकड़ा एक करोड़ 54 लाख 46 हजार रुपये ही हुआ।

विधानसभा में भी उठा मामला

मीनापुर विधायक ने इस मामले को बिहार विधानसभा में भी उठाया है। इसके बाद वहां से भी रिपोर्ट मांगी गई है।

Input: Dainik Jagran

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