साफ-सफाई और पवित्रता को लेकर चाणक्य ने अपने ‘नीति शास्त्र’ में कई नीतियों का वर्णन किया है. चाणक्य बताते हैं मनुष्य 7 चीजों को खाने के बाद भी पूजा-पाठ कर सकते हैं. चाणक्य ने इन 7 चीजों को पवित्र बताया है. आइए जानते हैं इनके बारे में…

इक्षुरापः पयो मूलं ताम्बूलं फलमौषधम् ।

भक्षयित्वापि कर्तव्या: स्नान दानादिका: क्रिया: ।।

रुग्ण और क्षुधा-पीड़ितों के लिए इस श्लोक में चाणक्य ने शास्त्र-सम्मत कथन का उल्लेख किया है. वे कहते हैं कि शास्त्रों में जल, गन्ना, दुग्ध, कंद, पान, फल और औषधि अत्यंत पवित्र कहे गए हैं. इसलिए इनका सेवन करने के बाद भी व्यक्ति धार्मिक कार्य संपन्न कर सकते हैं. इनसे किसी प्रकार की बाधा उत्पन्न नहीं होती.

सामान्य भारतीयों में यह धारणा पाई जाती है कि स्नान-ध्यान आदि करने के बाद ही फल और औषधि आदि का सेवन करना चाहिए, परंतु चाणक्य कहते हैं कि बीमारी की अवस्था में या फिर किसी और अवस्था में दूध, जल, कंदमूल, फल और दवाई आदि का सेवन किजा जा सकता है. इसमें कोई पाप नहीं है. उसके बाद स्नान आदि करके पूजा-पाठ और धार्मिक कार्य करना अनुचित नहीं है.

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