गायघाट। क्षेत्र में संचालित अवैध लाल ईंट भट्ठों का कारोबार लगातार बढ़ता जा रहा है। प्रशासन की अनदेखी के कारण इन ईंट भट्ठा संचालकों के हौसले बुलंद हैं तथा वे प्रतिबंधित लाल ईंटों का उत्पादन खुलेआम कर रहे है। कुछ दिनों पूर्व प्रशासनिक अमले द्वारा छोटे-छोटे ईंट भठ्ठों पर कार्रवाई कर खानापूर्ति की गई थी, जबकि दर्जनों बडे़ ईंट भट्ठों पर प्रशासन की नजर नहीं पड़ी, जो इस प्रशासनिक कार्रवाई पर संदेह उत्पन्न करती है। जो कार्रवाई की गई थी।लेकिन अब गायघाट में भी अधिकारियों ने ठोस कारवाई शुरू कर दी है। रामनगर के ग्यासुद्दीनपुर में एक एक दो भट्ठे को खनन विभाग के अधिकारी के निर्देश पर सीओ और थानाध्यक्ष ने कारवाई करते हुए तत्काल प्रभाव से संचालन पर रोक लगा दी हैं। अब यह छोटे संचालक बडे भट्ठों पर कार्रवाई नहीं करने पर उंगली उठा रहे हैं। जिन ईट भट्ठो के संचालकों के खिलाफ कार्रवाई हुई है उन लोगों का कहना है कि क्षेत्र में कई जगहों पर अवैध रूप से बड़े-बड़े ईंट भट्टे संचालित हो रहे है, लेकिन अब तक प्रशासन उन जगहों पर नहीं पहुंच पाई है। सिर्फ छोटे भट्टो पर ही कार्रवाई की गई है।

संचालकों ने कहा कि हम शासन प्रशासन से मांग करते है, कि सभी पर समान रूप से कार्रवाई होनी चाहिए, यदि प्रशासन द्वारा निजी उपयोग के लिए बनाए जा रहे ईंट भट्ठों पर कार्रवाई की गई है तो बाकी बडे़ भट्टो पर भी कार्रवाई होनी चाहिए। प्राप्त जानकारी के अनुसार दहिला पटशर्मा के राजेश रंजन ने इस मामले को लेकर अधिकारियों से शिकायत की थीं बताया जा रहा है संचालित ईट भट्ठा मेसर्स अंजनी कुमार सिंह पिता रामानंद सिंह भूसरा निवासी का हैं। पुलिस ने कारवाई करते हुए बंद कराया है।

शासन द्वारा विगत कुछ वर्षो से अवैध रूप संचालित ईंट पर पूर्णतः प्रतिबंध लगाया गया है। फिर भी यह कार्य क्षेत्र में अनवरत जारी है। चूंकि इन भट्ठों की वजह से पर्यावरण का भी बेहद नुकसान हो रहा है। इन ईंट भट्ठों में कच्ची लकड़ी बहुतायत में प्रयोग की जाती है, बडे़-बडे़ पेडों को काटकर इन भट्ठों में खपाया जाता है, फिर भी वन विभाग इस ओर से आंखें मूंदें बैठा है।

वहीं थानाध्यक्ष नरेन्द्र कुमार ने बताया कि अवैध ईट भठठा संचालन की कार्रवाई को लेकर जिला खनिज विभाग द्वारा अब तक कोई ठोस कार्रवाई नहीं की जा रही है। हालांकि कुछ स्थानों में कागजी कार्रवाई करते हुए खानापूर्ति की जा रही है, परंतु यह पर्याप्त नहीं है। ईट संचालकों द्वारा बड़े पैमाने पर ईट का निर्माण करने के लिए शासकीय व निजी जमीन का खनन किया जा रहा है। इससे पर्यावरण तो प्रभावित हो ही रहा है, वहीं जलस्तर भी तेजी से गिरते जा रहा है। साथ ही लगातार हरे भरे जंगल कम होते जा रहा है।लेकिन आवेदन मिलने पर कारवाई की गई है। तत्काल प्रभाव से संचालन पर रोक लगा दी हैं।

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