गर्मी बढ़ने के साथ ही एईएस से बचाव को लेकर जागरूकता अभियान तेज हो गया है। अडॉप्ट अ विलेज कार्यक्रम के तहत शनिवार को कर्मचारी से लेकर वरीय अधिकारी तक अपने गोद लिए गांवों में पहुंचे। प्रमंडलीय आयुक्त मनीष कुमार खुद पानापुर हवेली पंचायत के दामोदरी गांव में लाेगाें को जागरूक किया। उन्होंने कहा कि एईएस पर प्रभावी नियंत्रण के लिए अभिभावकों को भी बच्चों को निगरानी करते रहने की आवश्यकता है। बच्चों को धूप में नहीं खेलने देने एवं खाली पेट न रहने देने की सलाह दी। उन्होंने कहा कि इस दौरान माताओं को अपने बच्चों की देखभाल के प्रति गंभीर रहना होगा।

अभिभावक अपने बच्चों को सुबह में जरूर देखें कि उनकी क्या स्थिति है? बुखार होने पर शीघ्र नजदीक के प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र ले जाएं। चमकी का लक्षण दिखाई देते ही बिना समय गवाएं बच्चें को अस्पताल पहुंचाने में देरी न करें। कहा कि एईएस को लेकर पूरी व्यवस्था सुनिश्चित की गई है। अन्य अधिकारियों एवं कर्मियों ने भी संबंधित पंचायतों में बैठकें की। महादलित टोलों में भ्रमण करते हुए बच्चों एवं अभिभावकों के हैंडबिल बांटा और पढ़कर भी सुनाए। पदाधिकारियों ने आंगनवाड़ी केंद्रों, सामुदायिक भवन, स्वास्थ्य केंद्रों का भी निरीक्षण किया। आंगनवाड़ी सेविका, सहायिका एवं आशा को नियमित रूप से डोर टू डोर भ्रमण करने के लिए प्रेरित किया गया।

एईएस के इन लक्षणों पर जरूर रखें ध्यान

बच्चों को बहुत तेज बुखार होता है।

बुखार के साथ चमकी आना शुरू होता है।

मुंह से भी झाग आता है।

भ्रम की स्थिति होना।

पूरे शरीर या किसी खास अंग में लकवा मार देना।

हाथ पैर का अकड़ होना।

बच्चे का शारीरिक एवं मानसिक संतुलन का ठीक नहीं रहना।

बेहोश होने जैसी स्थिति भी हो जाती है।

बचाव के लिए ये सावधानियां बरतें

​​​​​बच्चों को धूप से बचाएं।

ओआरएस का घोल, नींबू पानी, चीनी पिलाएं।

रात में भरपेट खाना अवश्य खिलाएं।

बुखार होने पर शरीर को पानी से पोछें।

Source : Dainik Bhaskar

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