अंतरिक्ष में बादशाहत की मंशा से एक के बाद एक कई रॉकेट लॉन्च कर रहा चीन दुनिया की सुरक्षा के लिए बड़ा खतरा बन गया है। चीन का एक 21 टन वजनी विशालकाय रॉकेट अंतरिक्ष में अनियंत्रित हो गया है और यह अब पृथ्वी की ओर बढ़ रहा है। बताया जा रहा है कि चीन का यह भारी भरकम रॉकेट कहां पर गिरेगा, इसका अभी ठीक-ठीक पता नहीं चल पाया है। विशेषज्ञों ने चेतावनी दी है कि चीनी रॉकेट पृथ्वी पर अगर किसी आबादी वाले इलाके से टकराता है तो भारी तबाही हो सकती है। ऐसी आशंका जताई जा रही है कि इस रॉकेट का मलबा न्यूयॉर्क, मैड्रिड और पेइचिंग जैसे शहरों में कहीं भी गिर सकता है। आइए जानते हैं पूरा मामला…..
न्यूयॉर्क, मैड्रिड, पेइचिंग में मचा सकता है तबाही
चीन ने गुरुवार को अपने लॉन्ग मार्च 5बी रॉकेट को लॉन्च किया था और विशेषज्ञों ने आशंका जताई है कि आने वाले कुछ दिनों में यह पृथ्वी पर कहीं भी गिर सकता है। पृथ्वी के चक्कर लगाने ऑब्जेक्ट की निगरानी करने वाले खगोलविद जोनाथन मैकडोवेल ने स्पेस न्यूज से कहा कि अभी इस सैटलाइट का रास्ता न्यूयॉर्क, मैड्रिड, पेइचिंग से उत्तर की ओर और दक्षिण में चिली तथा न्यूजीलैंड की ओर ले जा रहा है। उन्होंने कहा कि इस दायरे में यह चीनी रॉकेट कहीं भी टकरा सकता है। यह समुद्र या आम जनसंख्या वाले इलाके में गिर सकता है। हालांकि उन्होंने यह भी कहा कि धरती के नजदीक आने पर इस चीनी रॉकेट का काफी हिस्सा जलकर राख हो जाएगा। सैटलाइट ट्रैकर ने पता लगाया है कि 100 फुट लंबा चीनी रॉकेट 4 मील प्रति सेकंड की रफ्तार से धरती की ओर बढ़ रहा है। चीन ने गुरुवार को इस रॉकेट की मदद से अंतरिक्ष में बनाए जाने वाले अपने स्पेस स्टेशन का पहला हिस्सा भेजा था। इस मॉड्यूल का नाम तियान्हे (Tianhe) रखा गया है।
जानें क्यों अंतरिक्ष में अनियंत्रित हुआ चीनी रॉकेट
विशेषज्ञों के मुताबिक 21 टन वजनी यह ऑब्जेक्ट चीन के लॉन्ग मार्च 5बी रॉकेट का मुख्य चरण है। उन्होंने बताया कि गुरुवार को लॉन्च किए जाने के बाद यह रॉकेट समुद्र में पहले से निर्धारित जगह पर गिरने की बजाय धरती के चक्कर लगाने लगा। बताया जा रहा है कि अगले कुछ दिनों में यह धरती पर गिरेगा। रॉकेट का यह मुख्य हिस्सा 100 फुट लंबा और 16 फुट चौड़ा है। विशेषज्ञों का कहना है कि चीनी रॉकेट का यह विशाल हिस्सा काफी कुछ पृथ्वी के वातावरण में जल जाएगा लेकिन इसका मलबा धरती पर कहीं भी गिर सकता है। ऐसा पहली बार नहीं हुआ है जब चीन का रॉकेट अंतरिक्ष में अनियंत्रित हुआ है। इससे पहले मई 2020 में लॉन्ग मार्च 5बी रॉकेट का मुख्य हिस्सा अनियंत्रित हो गया था और अटलांटिक महासागर के ऊपर उसका मलबा गिरा था। नासा ने चीनी रॉकेट के इस हादसे को वास्तविक रूप से खतरनाक बताया था। गिरने से पहले यह रॉकेट अमेरिका के लॉस एंजीलिस और न्यूयॉर्क शहर के ऊपर से गुजरा था।
अंतरिक्ष में खुद का स्पेस स्टेशन बनाने में जुटा चीन
इससे पहले चीन ने अंतरिक्ष में अमेरिका को टक्कर देने के लिए गुरुवार को खुद का स्पेस स्टेशन के पहले कोर कैप्सूल मॉड्यूल को लॉन्च किया था। आने वाले दिनों में ऐसी ही कई लॉन्चिंग के जरिए स्पेस स्टेशन के बाकी हिस्सों को भी अंतरिक्ष में पहुंचाया जाएगा। चीन की योजना इस साल के अंत से अपने पहले स्वदेशी अंतरिक्ष स्टेशन को शुरू करने की है। अभी तक केवल रूस और अमेरिका ने ही ऐसा कारनामा किया है। हालांकि, इस समय केवल अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा का इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन ही सक्रिय है। चाइना एकेडमी ऑफ स्पेस टेक्नोलॉजी (सीएएसटी) में अंतरिक्ष के उप मुख्य डिजाइनर बाई लिन्होउ ने कहा कि तियांहे मॉड्यूल अंतरिक्ष केंद्र तियानगोंग के प्रबंधन एवं नियंत्रण केंद्र के रूप में काम करेगा और इसमें एक साथ तीन अंतरिक्ष यान खड़ा करने की व्यवस्था है। चीन ने अपने स्पेस स्टेशन को टियोंगॉन्ग (Tiangong) नाम दिया है। चीनी भाषा में इसका मतलब जन्नत का महल होता है।
’T’ के आकार का होगा चीनी स्पेस स्टेशन, 15 साल करेगा काम t-15- यह मल्टीमॉडल स्पेस स्टेशन मुख्य रूप से तीन पार्ट से मिलकर बना होगा, जिसमें एक अंतरिक्ष कैप्सूल और दो लैब होंगी। इन सभी का कुल भार 90 मीट्रिक टन के आसपास होगा। स्पेस स्टेशन के कोर कैप्सूल का नाम तियान्हे (Tianhe) रखा गया है, जिसका मतलब स्वर्ग का सद्भाव होता है। चीनी अंतरिक्ष वैज्ञानिकों ने दावा किया है कि यह स्पेस स्टेशन इस साल के अंत से काम करना शुरू कर देगा। इसकी जीवन अवधि 15 साल आंकी गई है। चीनी कोर कैप्सूल की लंबाई 4.2 मीटर और डायामीटर 16.6 मीटर है। इसी जगह से पूरे अंतरिक्ष स्टेशन का संचालन किया जाएगा। अंतरिक्ष यात्री इसी जगह पर रहते हुए पूरे स्पेस स्टेशन को कंट्रोल कर सकेंगे। इस कैप्सूल में कनेक्टिंग सेक्शन के तीन हिस्से होंगे, जिसमें एक एक लाइफ-सपोर्ट, दूसरा कंट्रोल सेक्शन और तीसरा रिसोर्स सेक्शन होगा। चीन के अंतरिक्ष केंद्र का आकार अंग्रेजी के वर्ण टी (T) की तरह होगा जिसके मध्य में मुख्य मॉड्यूल होगा, जबकि दोनों ओर प्रयोगशाला के तौर पर इस्तेमाल किए जाने वाले कैप्सूल होंगे। प्रत्येक मॉड्यूल का वजन 20 टन होगा और जब अंतरिक्ष केंद्र पर, अंतरिक्ष यात्री और सामान लेकर यान पहुंचेंगे तो इसका वजन 100 टन तक पहुंच सकता हैं। इस अंतरिक्ष केंद्र को पृथ्वी की निचली कक्षा में 340 से 450 किलोमीटर की ऊंचाई पर स्थापित किया जा रहा है।
Input: NBT