बिहार के कद्दावर नेता व बिहार सरकार के पूर्व कृषि मंत्री रामविचार राय का बुधवार को पटना के एक निजी अस्पताल में निधन हो गया। उन्होंने 69 वर्ष की उम्र में अंतिम सांस ली। उनके निधन की खबर फैलते ही साहेबगंज विधानसभा क्षेत्र के गांवों में शोक की लहर दौड़ पड़ी। हर लोगों की जुबान से उनके साहस और संघर्ष की चर्चा आम हो गई। उन्होंने 1990 मे जनता दल के टिकट पर चुनाव लड़ कर पहली बार साहेबगंज से विधायक चुने गए थे, उसके बाद लगातार 2005 तक विभिन्न मंत्री पदो पर रहे ।
पुनः2015 मे राजद के टिकट पर चुनाव जीत कर कृषि मंत्री बने । इसी दौर में किडनी रोग से ग्रसित हो गए, जिनका इलाज मेदान्ता मे कराया गया, उसके कुछ महीनों बाद किडनी बदला गया था। उनके निधन पर शोक व्यक्त करते हुए पूर्व नगर विकास व आवास मंत्री सुरेश शर्मा ने कहा कि राय एक मजबूत विपक्ष के नेता थे। उनके जाने के बाद राजनीति शून्यता की स्थिति बन गई है। ईश्वर से प्रार्थना है कि परिवार को दुख सहने की ताकत दे।
गांव के राजनेता से संघर्ष कर की थी राजनीति की शुरुआत
पारू प्रखंड के माधोपुर बुजुर्ग गांव में जन्म लिए रामविचार राय ने पड़सी गांव के दरबार कहे जाने वाले नवल किशोर सिंह की राजनीति के खिलाफ संघर्ष कर ग्रामीण क्षेत्रों में विरोधी राजनीति की धुरू बने। 1974 में जेपी आन्दोलन के दौरान जेल गए थे, 1989 में चीनी मिल के मजदूरों को नियमित करने की मांग को लेकर पूर्व सांसद उषा सिन्हा के साथ चीनी मिल पर धरना-प्रदर्शन में शामिल हुए थे जहां पुलिस ने गिरफ्तार कर जेल भेज दिया। जेल में आन्दोलनकारियों के साथ इन्हे भी बुरी तरह पुलिस ने पिटाई की थीं। 1990 में जनता दल के टिकट पर चुनाव जीते और पहली बार 1992 में लघु उद्योग के चेयर मैन बनाए गए थे। उसके बाद लगातार 2005 तक मंत्री बनाए जाते रहे।
Input: Dainik Jagran