संवेदनशील कवि, प्रख्यात आलोचक और लंबे समय तक बीआरए बिहार विश्वविद्यालय के विभागाध्यक्ष रहे डॉ. रेवती रमण कोरोना की जंग हार गए। वे पिछले कई दिनों से भर्ती थे और वे बीच में ठीक भी हो गये थे। फिर उनकी हालत बिगड़ गई और सोमवार की सुबह उनकी मौत हो गई। उनके तीन पुत्र हैं, उनमें दो इंजीनियर और एक बैंकर है। निधन का समाचार फैलते ही मुजफ्फरपुर समेत सूबे के साहित्य व शिक्षा जगत में शोक की लहर दौड़ गई। साहित्यकारों, कवियों व प्रबुद्ध जनों ने शोक व्यक्त कर साहित्य व हिंदी जगत के लिए अपूरणीय क्षति बताया। वर्तमान हिंदी विभागाध्यक्ष डॉ. सतीश कुमार राय ने बताया कि कठिन से कठिन सन्दर्भों को सरल, प्रवाहपूर्ण व सृजनात्मक भाषा में प्रस्तुत करने की अद्भुत कला डॉ. रेवती को अलग बनाती है। उन्होंने कहा कि डॉ. रेवती उनके गुरु रहे। उनके साथ फिर हिंदी विभाग में काम करने का मौका मिला। डॉ. राय ने डॉ.रेवती रमण पर ‘रेवती रमण होने का अर्थ’ पुस्तक भी लिखी है। रेवती रमण ने स्वयं कई काव्य संग्रह व आलोचना भी लिखीं।
बता दें कि डॉ.रेवती रमण ने मुजफ्फरपुर में रहकर राष्ट्रीय स्तर पर हिन्दी आलोचना के क्षेत्र में अपनी व्यापक पहचान बनाई। वे वर्तमान में हिन्दी जगत् में राष्ट्रीय फलक पर मुजफ्फरपुर की पहचान थे। वे देश के प्रतिष्ठित साहित्यिक संस्था साहित्य अकादमी के बिहार से नामित सदस्य भी थे। उन्होंने देश की विभिन्न महत्वपूर्ण पत्र-पत्रिकाओं में विपुल मात्रा में सतत आलोचनात्मक लेखन किया और देश के प्रतिष्ठित प्रकाशन संस्थान से भी उनकी कृतियों का प्रकाशन हुआ।कवि-समीक्षक प्राध्यापक डॉ.रमेश ऋतंभर ने उन्हें अपना अनन्य गुरु, गाइड, फ्रेंड व फिलॉसफर बताया और उनके निधन को अपनी व्यक्तिगत क्षति बताया है। उनके जाने से उन्होंने अपना आत्मीय अभिभावक खो दिया है। इनके निधन पर शोक व्यक्त करने वालों में बी.एन.मंडलविश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति प्रो.रिपुसूदन प्रसाद श्रीवास्तव, चन्द्रमोहन प्रधान, डॉ.नन्दकिशोर नन्दन, शशिकान्त झा, डॉ.रवीन्द्र उपाध्याय, विधान पार्षद डॉ. संजय कुमार सिंह, डॉ.पूनम सिंह, डॉ.हरिनारायण ठाकुर, डॉ.ममता रानी, डॉ.संजय पंकज, डॉ.रामेश्वर द्विवेदी, डॉ.प्रमोद कुमार, डॉ.जयकांत सिंह, डॉ.त्रिविक्रम नारायण सिंह, डॉ.राजीव कुमार झा, डॉ.रंजना कुमारी, डॉ.सुनीता गुप्ता, डॉ.दशरथ प्रजापत, डॉ.शेखर शंकर, डॉ.कल्याण कुमार झा, डॉ.वीरेन्द्र कुमार सिंह, डॉ.सत्येन्द्र प्रसाद सिंह, समीक्षा प्रकाशन के डॉ.राजीव कुमार, अभिधा प्रकाशन के अशोक गुप्त, राकेश बिहारी, कविता, पंखुड़ी सिन्हा, डॉ.चितरंजन कुमार, डॉ.राकेश रंजन, सुशांत कुमार, उज्जवल आलोक, सन्ध्या पांडेय, रणजीत पटेल, ब्रजभूषण मिश्र, ललित किशोर, सतीश कुमार, डॉ.रवि रंजन, श्रवण कुमार, डॉ.आरती कुमारी, डॉ.भावना, श्यामलाल श्रीवास्तव, डॉ.पंकज कर्ण, डॉ. सन्ध्या पांडेय, डॉ.सतीश कुमार समेत अन्य शामिल हैं।
स्नातक में रहे कॉलेज टॉपर, काफी मेहनत कर पाई थी सफलता :
16 फरवरी 1955 को पूर्वी चंपारण के महमदा गांव में निम्न मध्यमवर्गीय परिवार में डॉ. रमण का जन्म हुआ था। अपनी मेहनत व दृढ़ निश्चय के बल पर हिंदी के ख्यातिप्राप्त प्राध्यापक, साहित्यकार के साथ ही आलोचक के रूप में अपनी पहचान बनाई। 1972-74 में उन्होंने एलएस कॉलेज से स्नातक में हिंदी के टॉपर रहे। इसके बाद 1978 में हिंदी से पीजी की और इसी साल उन्होंने समस्तीपुर के बीआरबी कॉलेज में इनकी नियुक्ति हो गई। 1979 में भागलपुर विश्वविद्यालय के साहेबगंज कॉलेज और 1980 में बिहार विश्वविद्यालय के स्नातकोत्तर हिंदी विभाग में इनकी नियुक्ति होगी। 1984 में डॉ. रमण ने पीएचडी की उपाधि पाई। 1988 में रीडर और 1996 में इन्हें प्राध्यापक बनाया गया।
Source : Dainik Jagran