जलजमाव से शहर की जनता कराह रही है। वहीं, नगर निगम के माननीय और अधिकारी पावर को लेकर आपस में लड़ रहे हैं। जनता की चिंता न तो शहर के प्रथम नागरिक को है, न ही निगम प्रशासन को। जलजमाव सहित शहर की समस्याओं को लेकर सोमवार को सशक्त स्थायी समिति की बैठक शुरू होते ही स्थगित हो गई। नगर आयुक्त निजी कारणों का हवाला देते हुए छुट्टी पर चले गए। वहीं, मेयर सुरेश कुमार ने नगर आयुक्त के उपस्थित नहीं होने का कारण बताते हुए बैठक को स्थगित कर मीटिंग चैंबर से पांच मिनट में ही निकल गए।
बैठक स्थगित होने पर स्थायी समिति के सदस्य नंद कुमार प्रसाद साह ने मेयर के खिलाफ कड़ा विरोध जताया। इसके बाद स्थायी समिति के सदस्य दो गुट में बंट गए। इस दौरान सदस्यों के बीच जमकर बहस व हो-हल्ला हुआ। सदस्य हरिओम कुमार व नंद कुमार प्रसाद साह के बीच तीखी बहस हुई। यहां तक की स्थायी समिति को भंग करने के लिए आवाज उठने लगी। बैठक में उप नगर आयुक्त हीरा कुमारी, समिति की सदस्य अर्चना पंडित, प्रमीला देवी, मो. जावेद अख्तर, पवन कुमार राम उपस्थित थे।
मेयर ने कहा, जानबूझ कर बैठक में नहीं शामिल हुए नगर आयुक्त :
बैठक स्थगित करने का कारण पूछे जाने पर मेयर सुरेश कुमार ने बताया कि जब नगर आयुक्त छुट्टी पर चले गए तो प्रस्तावों पर जवाब कौन देता। मुख्यालय में रहने के बावजूद जानबूझ कर विकास के मुद्दे पर होने वाली बैठक में शामिल नहीं होना दुर्भाग्यपूर्ण है। जबकि बैठक पहले से तय थी। बताया कि अधिनियम के तहत नगर आयुक्त के छुट्टी पर जाने पर उनकी जगह अधिकारी प्राधिकृत करने का अधिकार भी महापौर को है। उनके छुट्टी पर जाने की कोई सूचना नहीं थी। देर रात ई-मेल के जरिए जानकारी हुई। विकास और जलजमाव के मुद्दे पर अब पांच जून को बैठक रखी गई है।
बैठक स्थगित करना, मेयर का विकास विरोधी निर्णय :
समिति के सदस्य नंद कुमार प्रसाद साह ने बताया कि शहर में जलजमाव और पेयजल की समस्या से जनता परेशान है। लेकिन, यहां जनता की समस्या से ज्यादा अधिकारों को लेकर आपस में जंग चल रही है। जब नगर आयुक्त की ओर से अधिकारी प्राधिकृत थे तो बैठक का संचालन होना चाहिए था। मेयर का बैठक स्थिगित करना विकास विरोधी निर्णय है। अधिकार की लड़ाई में जनता का नुकसान हो रहा है।
Input: live hindustan