अफगानिस्तान में उपजे अभूतपूर्व संकट पर भारत के पूर्व विदेश मंत्री यशवंत सिन्हा ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार को एक सलाह दी है. उन्होंने बताया है कि तालिबान की नयी सरकार से भारत को कैसे निबटना चाहिए. ममता बनर्जी की पार्टी तृणमूल कांग्रेस के नेता यशवंत सिन्हा ने कहा है कि भारत को तालिबान के साथ ‘खुले दिमाग’ से निबटना चाहिए. साथ ही सुझाव दिया कि भारत को काबुल में अपना दूतावास खोलना चाहिए और राजदूत को वापस भेजना चाहिए.
यशवंत सिन्हा ने एक साक्षात्कार में कहा कि अफगानिस्तान के लोग भारत से बहुत प्यार करते हैं, जबकि पाकिस्तान उनके बीच लोकप्रिय नहीं है. उन्होंने कहा कि भारत सरकार को यह नहीं सोचना चाहिए कि तालिबान ‘पाकिस्तान की गोद में बैठ जायेगा’, क्योंकि हर देश अपने हित की सोचता है. उन्होंने कहा कि भारत को बड़ा देश होने के नाते तालिबान के साथ मुद्दों को विश्वास के साथ उठाना चाहिए और ‘विधवा विलाप’ नहीं करना चाहिए कि पाकिस्तान का अफगानिस्तान पर कब्जा हो जायेगा या उसको वहां बढ़त मिलेगी.
श्री सिन्हा ने कहा कि सच्चाई यह है कि तालिबान का अफगानिस्तान के अधिकतर हिस्सों पर नियंत्रण है और भारत को ‘इंतजार करो एवं देखो’ की नीति अपनानी चाहिए और उसकी सरकार को मान्यता देने या खारिज करने में जल्दबाजी नहीं करनी चाहिए. यशवंत सिन्हा ने कहा, ‘वर्ष 2021 का तालिबान वर्ष 2001 के तालिबान की तरह नहीं है. कुछ अलग प्रतीत होता है. वे परिपक्व बयान दे रहे हैं. हमें उस पर ध्यान देना होगा.’
उन्होंने कहा, ‘उन्हें उनके पिछले व्यवहार को देखते हुए खारिज नहीं करना चाहिए. हमें वर्तमान और भविष्य को देखना है.’ अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार में विदेश मंत्री और बिहार-झारखंड के हजारीबाग से सांसद रहे यशवंत सिन्हा बाद में नरेंद्र मोदी और उनकी सरकार के आलोचक हो गये और उन्होंने भाजपा छोड़ दी थी. वर्तमान में वह तृणमूल कांग्रेस के उपाध्यक्ष हैं.
भारत ने अपने राजदूत को वापस बुला लिया
उन्होंने कहा कि तालिबान के काबुल पर कब्जा करने के बाद भारत को दूतावास बंद करने और अपने लोगों को वहां से निकालने की बजाय इंतजार करना चाहिए था. गौरतलब है कि भारत ने बढ़ते तनाव को देखते हुए मंगलवार को अपने राजदूत रूद्रेंद्र टंडन और काबुल दूतावास के कर्मचारियों को वापस बुला लिया था.