इस्लामाबाद. संयुक्त राष्ट्र महासभा के 76वें सत्र से इतर हुई बैठक में इस्लामिक सहयोग संगठन  के संपर्क समूह ने भारत  से जम्मू-कश्मीर का विशेष दर्जा समाप्त करने के फैसले को वापस लेने को कहा. इसपर भारत ने ओआईसी को करारा जवाब भी दे दिया है. विदेश मंत्रालय ने कहा है कि वह अपने मंच का इस्तेमाल उसके आंतरिक मामलों में निहित स्वार्थों वाले लोगों को टिप्पणी करने के लिए नहीं करने दे.

विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने अगस्त में कहा था, ‘ओआईसी का भारत के अभिन्न अंग केंद्र शासित प्रदेश जम्मू-कश्मीर से संबंधित मामलों में कोई अधिकार नहीं है. हम इस बात को दोहराते हैं कि ओआईसी सचिवालय को भारत के आंतरिक मामलों पर टिप्पणियों के लिए निहित स्वार्थों वाले लोगों को अपने मंच का फायदा उठाने की अनुमति देने से बचना चाहिए.’

पाकिस्तान के विदेश मंत्रालय के मुताबिक जम्मू-कश्मीर पर ओआईसी के संपर्क समूह के विदेश मंत्रियों की बैठक के बाद एक संयुक्त विज्ञप्ति जारी की गई. यह बैठक ओआईसी के महासचिव की अध्यक्षता में हुई थी. बैठक के बाद पाकिस्‍तान के इशारे पर जारी बयान में कहा गया है कि ओआईसी जम्‍मू-कश्‍मीर को लेकर अपनी पहले की स्थिति और प्रस्‍तावों पर कायम है. जम्‍मू-कश्‍मीर के लोगों को संयुक्‍त राष्‍ट्र और ओआईसी की ओर से मान्‍यता प्राप्‍त स्थिति के मुताबिक आत्‍मनिर्णय का हक दिया जाए. ओआईसी ने यह भी कहा कि जम्‍मू-कश्‍मीर वर्ष 1948 से एक अंतरराष्‍ट्रीय मान्‍यता प्राप्‍त विवाद है.

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ओआईसी ने यह भी कहा कि दक्षिण एशिया में तब तक शांति नहीं आ सकती है जब तक कि संयुक्‍त राष्‍ट्र सुरक्षा परिषद के प्रस्‍तावों के मुताबिक जम्‍मू-कश्‍मीर मुद्दे का हल न हो जाए. बता दें कि भारत ओआईसी के इस दावे को लगातार खारिज करता रहा है. भारत का कहना है कि जम्‍मू-कश्‍मीर हमारा आंतरिक मामला है और अगर कोई विवाद है तो उसे बातचीत के जरिए सुलझाया जाए. ओआईसी ने भारत के जम्‍मू-कश्‍मीर से आर्टिकल 370 को खत्‍म करने पर भी अपनी खीझ दिखाई. (एजेंसी इनपुट)

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