बिहार मखाना नहीं, बल्कि मिथिला मखाना के नाम से ही यहां के मखाना को जीआई टैग मिलेगा। 11 सितंबर 2020 को बिहार कृषि विवि के डीन एग्रीकल्चर आरआर सिंह ने बिहार मखाना का नाम मिथिला मखाना करने के लिए जीआई (ज्योग्राफिकल इंडिकेटर्स) रजिस्ट्रार को पत्र भेजा था। पत्र में नाम बदलने का आग्रह किया गया था। इसके बाद मिथिला मखाना के नाम से ही जीआई टैग के लिए प्रोसेस आगे बढ़ रहा है। 8 नवंबर को दिल्ली से आए अधिकारियों की टीम ने मिथिला मखाना के उत्पादकों से बात की थी। संभावना है कि 2022 के अंत तक मखाना को जीआई टैग मिल जाए। जीआई टैग की अधिसूचना जारी होने से पहले जर्नल में इसे प्रकाशित कर किसी भी प्रदेश, देश से आपत्ति लेगा। मखाना को जीआई टैग देने के मामले में किसी तरह की आपत्ति नहीं मिलने की स्थिति में नोटिफिकेशन कर दिया जाएगा। कृषि मंत्री अमरेंद्र प्रताप सिंह ने कहा कि मखाना बिहार का विशिष्ट उत्पाद है। राज्य सरकार द्वारा मिथिलांचल क्षेत्र के मखाना को वैश्विक पहचान जीआई टैग दिलाने की कार्रवाई की गई है। बजट सत्र में मैंने आश्वासन दिया था कि राज्य सरकार के प्रयास से मखाना को मिथिला मखाना के नाम से वैश्विक पहचान के लिए जीआई टैग जल्द मिलेगा। हाल में भारत सरकार के भौगोलिक संकेत रजिस्ट्री के कंसल्टेटिव समूह के सदस्यों की टीम ने राज्य का भ्रमण किया।

पग-पग पोखर माछ मखान, सरस बोल मुस्की मुख पान, इ थीक मिथिलाक पहचान….

दुनिया में कुल मखाना उत्पादन का करीब 80 प्रतिशत हमारे मिथिला में होता है। मखाना मिथिला का एक प्रमुख कृषि उत्पाद ही नहीं, मिथिला की पहचान भी है। यह पहचान औैर समृद्ध होगी, जब इसे मिथिला मखाना नाम से पूरी दुनिया में उपयोग में लाया जाएगा। इसलिए मखाना को मिथिला मखाना या मिथिला का मखाना जैसे नाम के साथ ही जीआई टैग प्राप्त हो, इसके लिए बिहार सरकार प्रयास कर रही और हमलोग इसे सुनिश्चित करेंगे। इस संबंध में किसी को कोई भ्रम नहीं होना चाहिए। संजय कुमार झा, जल संसाधन और सूचना व जनसंपर्क मंत्री

Source : Dainik Bhaskar

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