खगड़िया. बिहार में हो रहे पंचायत चुनाव के दौरान जहां कई नए चेहरे जीत हासिल कर रहे हैं तो कई दिग्गजों तथा उनके परिवार को भी मुंह की खानी पड़ रही है. ऐसा ही एक मामला खगड़िया जिले से आय़ा है जहां मोदी सरकार के मंत्री पशुपति कुमार पारस को हराकर राजद के टिकट से कभी विधायक बनने वाले पूर्व विधायक चंदन राम को मुखिया चुनाव में भी जीत नहीं मिल सकी है और वो चुनाव हार गए है.

खगड़िया के अलौली विधानसभा क्षेत्र के राजद के विधायक रहे चंदन राम तेतराबाद पंचायत से मुखिया पद से चुनाव लड़ रहे थे. चुनाव परिणाम आने के बाद मुखिया पद के प्रत्याशी और पूर्व राजद विधायक चंदन राम अपने पंचायत में पांचवे स्थान पर रहे. चंदन राम को हराने वाले मुखिया पद के प्रत्याशी नंदकेश उर्फ मुन्ना कुमार को 1737 वोट मिला वही चंदन राम को मात्र 567 वोट मिले. यही नहीं पूर्व विधायक चंदन कुमार के छोटे भाई पिंटू कुमार जो कि जिला परिषद क्षेत्र संख्या 4 से जिला परिषद सदस्य के लिए चुनाव लड़ रहे थे को भी इस बार हार मिली.

2015 में पशुपति कुमार पारस को हराकर सुर्खियों में आये थे चंदन राम

चंदन राम एक शिक्षक थे और फिर राजद ने जब वर्ष 2015 में खगड़िया के अलौली विधानसभा से जब उनको विधानसभा चुनाव का टिकट दिया उसके बाद वो शिक्षक पद से त्यागपत्र देकर चुनाव लड़े थे . इस चुनाव में उन्होने लोजपा के प्रत्याशी और फिलहाल केंद्र में मंत्री पशुपति कुमार पारस को चुनाव में हरा दिया था और काफी सुर्खियां बटोरी. पिछले साल यानी वर्ष 2020 में राजद ने अलौली विधानसभा से चंदन का टिकट काट दिया और रामवृक्ष सदा को टिकट दिया था और वह चुनाव जीत गए.

जिले में चर्चा

जिस तरह से राजद के पूर्व विधायक चंदन राम मुखिया पद से चुनाव हार गए हैं वो पूरे जिले में चर्चा का विषय बना हुआ है. लोगों का कहना है कि पांच साल विधायक रहते हुए उन्होने क्षेत्र में कोई विकास नहीं किया तो फिर मुखिया पद पर लोग कैसे विश्वास करते, इसी का नतीजा चुनावी परिणाम में चंदन को मिली हार है.

Source : News18

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