उत्तर प्रदेश के रायबरेली में एक शादी चर्चा का विषय बनी हुई है. यह शादी थी उस बहन की, जिसका भाई बीते साल देश के लिये कुर्बान हुआ था. इस बहन ने एक भाई खोया तो उसकी शादी में डोली उठाने दर्जनों भाई पहुंच गए. यह भाई कोई और नहीं, बल्कि सीआरपीएफ के वर्दीधारी जवान थे. बीती रात रायबरेली के प्लीजेंट व्यू मैरिज हाल में ज्योति की शादी थी. ज्योति के भाई शैलेंद्र प्रताप सिंह सीआरपीएफ के जवान थे, जो बीते 5 अक्टूबर 2020 को जम्मू में एक आतंकी हमले के दौरान वीरगति को प्राप्त हुए थे.

बहन के हाथों में मेहंदी लगते देखना, डोली चढ़ते देखना और घर से विदा होकर ससुराल जाते देखना हर भाई का अरमान होता है, मगर एक भाई की यह कसक अधूरी रह गई और वह देश की सुरक्षा की खातिर आतंकियों से लोहा लेने के दौरान कुर्बान हो गया. मगर जब उस शहीद भाई के बहन की शादी की बारी आई तो सीआरपीएफ के साथी जवानों ने शहीद भाई की वह कसक पूरी कर दी. शादी  के दौरान भले ही उस बहन के पास उसका अपना भाई नहीं था, मगर भारतीय सेना के जवानों की पूरी फौज हरपल उस दुल्हन का भाई बनकर दहलीज पर खड़ी थी.

दरअसल, उत्तर प्रदेश के रायबरेली में एक शादी चर्चा का विषय बनी हुई है. यह शादी थी उस बहन की, जिसका भाई बीते साल देश के लिये कुर्बान हुआ था. इस बहन ने एक भाई खोया तो उसकी शादी में डोली उठाने दर्जनों भाई पहुंच गए. यह भाई कोई और नहीं, बल्कि सीआरपीएफ के वर्दीधारी जवान थे. बीती रात रायबरेली के प्लीजेंट व्यू मैरिज हाल में ज्योति की शादी थी. ज्योति के भाई शैलेंद्र प्रताप सिंह सीआरपीएफ के जवान थे, जो बीते 5 अक्टूबर 2020 को जम्मू में एक आतंकी हमले के दौरान वीरगति को प्राप्त हुए थे.

शहादत के साल भर बाद शहीद शैलेंद्र की बहन ज्योति की शादी थी. इस शादी में शहीद के साथी जवानों को आमंत्रित किया गया था. इन जवानों ने यहां वर्दी पहन कर शिरकत की और भाई के सारे कर्तव्यों को निभाया. शहीद शैलेंद्र की बहन की शादी में जवानों की मौजूदगी से भले ही कुछ पल के लिए माहौल गमगीन हो गया, मगर दुल्हन को इस खास मौके पर इतने सारे भाई मिल गए, यह उसके लिए विशेष पल था.

शहीद के पिता बेटे की शहादत को याद कर भले रो देते हों, मगर बेटी की शादी में वर्दीधारी जवानों की मौजूदगी उन्हें गौरवान्वित कर गई. शहीद शैलेंद्र के पिता नरेंद्र बहादुर सिंह ने कहा कि उनके बेटे के साथी जवानों ने उन्हें आश्वासन दिया कि वे हर पल उनके साथ हैं.

जवानों के वह जुमले भी शहीद के पिता ने दोहराया, जब उन्होंने कहा था देखिये एक बेटे के बदले हम सब आपके बेटे हैं. जवानों ने न केवल शहीद की बहन को अपनी बहन की तरह विदा किया बल्कि वर-वधु को सोने की अंगूठी जैसे कीमती तोहफे भी दिए.

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