कांटी के पूर्व विधायक व बिहार सरकार के पूर्व मंत्री निलनी रंजन सिंह नहीं रहे। उनके निधन पर शोक की लहर है। लंबे समय से वे बीमार चल रहे थे। जमशेदपुर में अपनी बेटी सुमिता नुपूर व दामाद उत्तम कुमार के यहां रहकर इलाज करा रहे थे। परिवार से मिली जानकारी के अनुसार उनका अंतिम संस्कार जमेशदपुर में ही होगा।
एक बेहतर समाजसेवी को खो दिया
अपने राजनीतिक सफर की शुरुआत उन्होंने वामपंथी संगठन एसयूसीआइ से की थी। बाद में जनता दल के टिकट पर चुनाव जीतकर मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव के मंत्रीमंडल में भवन निर्माण मंत्री बनाए गए थे। उनके राजनीति जीवन में सहयोगी रहे एसयूसीआइ के राज्य सचिव अरुण कुमार सिंह ने बताया कि मुझे नलिनी बाबू ही राजनीति में लेकर आए थे। वे एक कुशल नेता और गरीबों के मददगार रहे। वे कहते थे कि एसयूआइ में संघर्ष की राह बहुत कठिन है। उन्होंने काफी मेहनत किया, लेकिन यहां पर टिक नहीं पाए। वे रीगा के रहने वाले थे तथा यहां पर जूरन छपरा में निवास करते थे। आरडीएस कॉलेज में मनोविज्ञान के प्राेफेसर के रूप में अपनी सेवा भी दी। जानकारी के अनुसार पेरिस में हुए सड़क दुर्घटना में उनकी पत्नी व पुत्र चेतन घायल हुए थे। बाद में पुत्र की मौत हो गई थी। इलाज के दौरान उनकी पत्नी की मौत हो गई थी। अभी उनकी पुत्री जमशेदपुर में रहती हैं। उनके निधन पर सांसद अजय निषाद, पूर्व मंत्री विधान पार्षद देवेशचन्द्र ठाकुर ने शोक व्यक्त करते हुए कहा कि समाज ने एक बेहतर समाजसेवी को खो दिया। उनके योगदान को भुलाया नहीं जा सकता। उतर बिहार उद्यमी संघ के अध्यक्ष अनुपम कुमार, भाजपा जिलाध्यक्ष रंजन कुमार, जदयू नेता प्रो.धनंजय सिंह, प्रो.शब्बीर अहमद, अखिलेश सिंह आदि ने भी उनके निधन पर शोक जताया है।
राजनीति करियर
कांटी विधानसभा में 1972 व 1977 में चुनाव लड़े और हारे। 1980 व 1985 में एसयूसीआइ से चुनाव लड़े व जीते। उसके बाद वे एसयूसीआइ से अलग होकर जनता दल से 1990 में चुनाव लड़े और जीते। तत्कालीन लालू प्रसाद यादव के मुख्यमंत्री काल में भवन निर्माण मंत्री बने। कांटी से बाद में 1995 व 2000 में अलग-अलग दल से चुनाव लड़े और हार गए। इन दिनों वह समाजिक काम में ज्यादा रुचि ले रहे थे।
Source : Dainik Jagran | Amrendra Tiwari