गुजरात के जूनागढ में एक दुर्लभ प्रजाति की मकड़ी खोजी गई है. यह मकड़ी राज्य के गिरनार वन्य जीव अभ्यारण में मिली. मकड़ी का नाम 15वीं सदी के विख्यात संत कवि नरसिंह मेहता के नाम पर नरसिंह मेहता रखा गया है. मकड़ी की खोज भक्त कवि नरसिंह मेहता यूनिवर्सिटी की एक पीएचडी की छात्रा ने की है. मकड़ी की जानकारी देते हुए विश्वविद्यालय के प्रोफेसर डॉ. जतिन रावल ने कहा कि मकड़ियों की विश्व सूची में एक और अतरिक्त नाम जुड़ गया जहां वर्तमान में मकड़ियों की लगभग 49,000 प्रजातियां मौजूद हैं.

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आपको बता दें कि संत कवि नरसिंह मेहता अपनी प्रसिद्ध कविता ‘वैष्णव जन तो तेने कहिये’ के लिए जाने जाते हैं. इस कविता को राष्ट्रपिता महात्मा गांधी भी गाया करते थे और इसी के माध्यम से उन्होंने दुनिया को अहिंसा का बढ़ा पाठ पढ़ाया. नरसिंह मेहता जूनागढ़ के रहने वाले थे. यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर ने कहा कि यही वजह थी कि मकड़ी का नाम संत कवि के नाम पर रखा गया.

2017 में प्रकाशित शोध पत्र में कहा गया है ‘स्पाइडर्स ऑफ गुजरात: ए प्रिलिमिनरी चेकलिस्ट’ अब तक 169 प्रजातियों के तहत 415 तरह की मकड़ी की प्रजातियां मिल चुकी हैं जिसमें गुजरात से मकड़ियों के कुल 40 परिवारों की जानकारी सामने आई है.

इनमें से कुल 39 ऐसे प्रजातियां है जो गुजरात के लिए स्थानीय है. इसका साफ तौर पर यह मतलब है कि ये प्रजातियां सिर्फ गुजरात में ही पाई जाती हैं. इसके अलावा जबकि 150 प्रजातियां भारत में और 26 दक्षिण एशिया में पाई जाती हैं.

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मकड़ी आर्थ्रोपोडा संघ का कीड़ा है. इसका शरीर दो भागों में बटा होता है जिसमें एक भाग शिरोवक्ष और दूसरा भाग उदर कहलाता है. मकड़ियों की लगभग 49000 प्रजातियों की पहचान हो चुकी है. इनके पेट में एक थैली होती जिसमें एक चिपचिपा पदार्थ मौजूदा रहा है. मकड़ियां इसी पदार्थ से जाल बुनती हैं.

Source : News18

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