श्रीलंका ने ब्रिटेन से आए कचरों के 263 कंटेनर में से बचे हुए अंतिम कंटेनर वापस भेज दिए हैं. अधिकारियों ने मंगलवार को इसकी जानकारी दी. श्रीलंका के सीमा शुल्क अधिकारियों ने दो साल पहले कचरे का पता लगाया था जिसमें गद्दे, कालीन और अन्य सामान शामिल थे. स्थानीय आयातकों ने दावा किया था कि यह सामान रिसाइकल करने के लिए लाया गया है. उप पर्यावरण प्रमुख अजित वीरसुन्दर ने कहा कि अंतिम 45 कंटेनरों को सोमवार को वापस भेज दिया गया.
जानकारी के मुताबिक, कंटेनर को एवर जीनियस (शिप) द्वारा सोमवार (21 फरवरी) को वापस ब्रिटेन भेज दिया गया. ये कंटेनर सोमवार को ही कोलंबो पोर्ट में सीआईसीटी टर्मिनल पहुंचे थे. शिप कल रात करीब 8 बजे कोलंबो बंदरगाह से निकली थी. साल 2019 में, श्रीलंका सीमा शुल्क के सोशल प्रोटेक्शन डिवीजन की एक जांच में 263 कंटेनर पाए गए थे, जिनमें क्लिनिकल वेस्ट, इस्तेमाल किए गए कुशन और गद्दे, प्लास्टिक का कचरा और ब्रिटेन से देश में आयात किए गए अवर्गीकृत और खतरनाक अपशिष्ट थे.
कोर्ट ऑफ अपील ने जारी किया था आदेश
बाद में यह पता चला था कि 133 कंटेनरों को कोलंबो के बंदरगाह पर जमा किया गया था. जबकि बाकी 130 कंटेनरों को पहले ही बंदरगाह से हटा दिया गया था और कटुनायके में निवेश बोर्ड के तहत संचालित एक निजी कंपनी के परिसर में संग्रहीत किया गया था. सीमा शुल्क जांच के मुताबिक, कंटेनरों को अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन के प्रावधानों के विपरीत बेसल कन्वेंशन के रूप में जाना जाता है. सीमा शुल्क जांच के दौरान, पर्यावरण न्याय केंद्र ने कोर्ट ऑफ अपील में एक मामला दायर किया था. इस मामले के परिणामस्वरूप, कोर्ट ऑफ अपील ने एक आदेश जारी किया कि 263 कंटेनरों को तत्काल प्रभाव से ब्रिटेन लाया जाए.
इसके बाद, श्रीलंका सीमा शुल्क ने साल 2020 तक कोलंबो बंदरगाह में निहित कचरे के 133 कंटेनरों को ब्रिटेन भेजने की कार्रवाई की थी. इसके अलावा, सीमा शुल्क ने कटुनायके में निजी कंपनी परिसर में संग्रहीत 130 कंटेनरों को सुरक्षित किया और पिछले साल के दौरान नौ अवसरों पर ब्रिटेन को 85 कंटेनरों को भेजा. श्रीलंका ने बाजल समझौते पर हस्ताक्षर किए हैं जो नुकसानदायक कचरे और उसके निस्तारण के आयात-निर्यात पर नियंत्रण रखता है.’ गौरतलब है कि विकासशील देश, विकसित देशों के अवांछित और पर्यावरण पर प्रतिकूल प्रभाव डालने वाले हानिकारक सामान के आयात पर प्रतिबंध लगाने पर विचार कर रहे हैं.