अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस पर मंगलवार को ‘नारी शक्ति पुरस्कार’ से मधुबनी की प्रसिद्ध कलाकार मीरा ठाकुर भी सम्मानित हुईं। राष्ट्रपति भवन में आयोजित विशेष समारोह में राष्ट्रपति ने दिया पुरस्कार। मीरा चंडीगढ़ में पति के साथ रहती हैं। बीते तीन दशक से सिक्की कला के प्रति समर्पित हैं। उन्होंने करीब डेढ़ हजार महिलाओं को इसका निशुल्क प्रशिक्षण देकर रोजगार से जोड़ा है।
मधुबनी जिले के लखनौर प्रखंड के उमरी गांव निवासी मीरा से सोमवार की शाम प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने बातचीत की। उनसे सिक्की कला के बारे में जानकारी लेते हुए इसकी सराहना की। उमरी गांव के अमृतलाल ठाकुर की पुत्री मीरा का जन्म वर्ष 1976 में हुआ था। राजनगर प्रखंड के राघोपुर बलाट गांव निवासी धर्मानंद ठाकुर के साथ उनकी शादी हुई। विवाह के बाद पति के साथ 1996 में चंडीगढ़ चली गईं। वहां बिहार व उत्तर प्रदेश सहित अन्य राज्यों की महिलाओं को सिक्की कला का निशुल्क प्रशिक्षण देने लगीं। बहुत सी महिलाओं को इसके जरिए रोजगार से जोड़ा। वर्ष 2020 में चंडीगढ़ में सिक्की कला के लिए ट्रेनिंग सेंटर का संचालन शुरू किया। उनके पति एक प्राइवेट कंपनी में अकाउंट्स का कार्य देखते हैं।
मिल चुके हैं कई पुरस्कार
इंटरमीडिएट तक शिक्षा ग्रहण करने वाली मीरा को सिक्की कला विरासत में मिली। उन्होंने माता बुची देवी से यह कला सीखी। शादी से पहले इस कला के प्रति समर्पित मीरा को वस्त्र और हस्तशिल्प मंत्रालय ने वर्ष 2005 में पुरस्कार प्रदान किया था। वर्ष 2005 में सिक्की-ग्रास शिल्प के लिए यूनेस्को सील आफ एक्सीलेंस अवार्ड से सम्मानित किया गया। चंडीगढ़ प्रशासन और उत्तर क्षेत्र सांस्कृतिक केंद्र ने संयुक्त रूप से वर्ष 2011 में कला निधि पुरस्कार से सम्मानित किया। वर्ष 2017 में हरियाणा सरकार ने राज्य पुरस्कार (सांत्वना) प्रदान किया। वर्ष 2017 में बिहार गौरव पुरस्कार प्रदान किया गया था।
यह है सिक्की कला
सिक्की एक प्रकार की घास होती है। जो सड़क किनारे या नमी वाले इलाके में होती है। इसे काटकर सुखाने के बाद विभिन्न रंगों से रंगकर कलाकृतियां बनाई जाती हैं। इनमें डलिया, मउनी, खिलौने, चप्पल व चूड़ी सहित अन्य सामग्री बनाई जाती है।
Source : Dainik Jagran