मुजफ्फरपुर : जिंदा रहने के लिए, और एक खुशहाल जिंदगी जीने के लिए दो वक्त की रोटी मिलना काफी जरूरी है। महंगाई की दुनिया में एक महिला और आदमी दोनो काम कर घर चलाते है। लेकिन उस बीच एक मां को अपने बच्चे के लिए समय निकालना बड़ा मुस्किल हो जाता है।
मगर, मां की ममता के आगे सब कुछ फीका पर जाता है। ऐसा ही एक उदाहरण मुजफ्फरपुर के सदर अस्पताल में देखने को मिलना, जहां एक महिला स्मार्ट सिटी के तहत नाला व सड़क निर्माण कार्य में व्यवस्थित थी और साथ ही अपने नन्हे शिशु को वही पास में सड़क किनारे लेता कर काम कर रही थी।
उसकी नज़र बार बार अपने बच्चे को जाती। जब बच्चा रोने लगता तो वो काम छोड़ उसके पास जाती, उसे पुचकारती, दूध पिलाती और वापस काम में लग जाती।
एक मां से बढ़कर अपने बच्चे के लिए प्रेम की कई सारी कहानियां है,। लेकिन मां की ममता का कोई जोड़ा नहीं है। इसलिए ही तो मां बच्चों की जान होती है।
Pics by Madhav Kumar (Prabhat Khabar)