ग़रीब माएँ इसलिए बच्चे पैदा करती है कि वो एक दिन मर जायें. हाँ, यही सच है. मुज़फ़्फ़रपुर में मस्तिष्क-ज्वर यानी Encephlities से अब तक 80 बच्चों की मौ’त हो चुकी हैं. ये बच्चे समाज के सबसे पिछले वर्ग से आते हैं. इनकी मौ’त पर कोई हंगामा नहीं होगा. कोई दुःख भी नहीं मनाएगा. किसी डॉक्टर की बर्ख़ास्तगी नहीं होगी. सरकार से कोई सवाल नहीं करेगा. मीडिया में बड़ी-ब्रेकिंग न्यूज़ नहीं बनेगी. क्योंकि ये वैसे बच्चे हैं जिनके होने या नहीं होने से किसी को फ़र्क़ नहीं पड़ता.
डॉक्टर कह रहें कि बच्चे ख़ाली पेट में लीची खा रहें इसलिए उन्हें ये बुखार लग रहा है और वो मर रहें हैं.
अयरनी देखिए SKMCH यानी उत्तर बिहार का सबसे बड़ा हॉस्पिटल में बच्चों को अड्मिट करने के बेड तक नहीं है. हॉस्पिटल में कुल 610 बेड हैं और इलाज के लिए वहाँ अभी 910 से ज़्यादा बीमार बच्चें हैं. बच्चों को फ़र्श पर लिटा कर इलाज किया जा रहा.
वैसे ग़ौर कीजिएगा ये वही बिहार है जहाँ लालू जी बीमार होते हैं तो हेलिकॉप्टर से तुरंत दिल्ली पहुँचा दिए जाते हैं. MLA और बाक़ी के MP सबका भी वही हाल है. फिर चुनाव के वक़्त पब्लिक सीधे प्रधानमंत्री चुनती है. उन्हें लोकल नेताओं को देखना नहीं होता. वोट किसी एक व्यक्ति के नाम पर गुंडों को देते हैं. जब नेता जी वोट माँगने आते हैं तो बजाय सवाल करने के खीर-पूरी बनवा कर ठूँसवाते हैं मानों दामाद जी आयें हैं.
तो अब मुझे इन्बाक्स में फ़ोटो भेज कर क्या फ़ायदा होगा? मेरे लिख देने से क्या ही बदल जाएगा. मुझे और फ़ोटो न भेजिए प्लीज़. दिन भर मेरी आँखों के सामने यही तस्वीर रहेगी अब.
और ये वो दुःख है जो माँ-बाप अपने साथ ले कर ही इस दुनिया से जाएँगे.
बीइंग मुज़फ़्फ़रपुरवाली