बिहार के एक स्टार्टअप “DeHaat” में Debt fund के रूप में Trifecta Capital ने 20 करोड़ रुपये का फण्ड इन्वेस्ट किया है। यह फंड किसानो को लोन और बीमा मे उपयोग कीए जाएंगे
DeHaat कृषि सेवाओं और उत्पादों के लिए एक डिजिटल मार्केटप्लेस है। बिहार में इस तरह के निवेश भी स्टार्टअप्स के लिए अब रास्ते खुलेंगे।
एग्रीकल्चर अर्थात कृषि पौधों को उपजाने और पशुओं को विकसित करने का विज्ञान और कला है। कृषिकर्म और किसान हमारे अस्तित्व और जीवन का महत्वपूर्ण हिस्सा हैं। जिस तरह भोजन के बिना जीवन संभव नहीं, उसी तरह किसान के बिना समाज अधूरा है। उसी अन्नदाता का जीवन सबसे ज्यादा आभाव में गुजरता है। किसान का योगदान सभी को चाहिए लेकिन उनके बारे में सोचते काम ही लोग हैं और उन्ही लोगों में से एक हैं बिहार के युवा शशांक कुमार जो किसान समुदाय की बेहतरी के लिए काम करते हैं।
शशांक IIT दिल्ली से स्नातक की उपाधि प्राप्त कर एक बड़ी कंसल्टेंसी फर्म में हाई पेइंग जॉब कर रहे थे। लेकिन उन्होंने अपने दोस्त अमरेंद्र सिंह (BTech- NIT जमशेदपुर), आदर्श ( BTech IIT – ISM धनबाद) और श्याम सुन्दर ( IIT खरगपुर और IIM अहमदाबाद) के साथ मिलकर बिहार और यहाँ के किसानों के करने का सोचा। वे सभी अपनी नौकरी छोड़ कर बिहार वापस आ गए और किसानों और प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में एक स्थायी मॉडल तैयार किया और कुछ इस तरह DeHaat की नींव रखी। DeHaat किसानों को फसल उपजाने के पैटर्न की सलाह देता है और उनकी मदद करता है।
DeHaat वर्तमान में यूपी, बिहार और ओडिशा बेल्ट में लगभग 56,000 छोटे किसानों (2 हेक्टेयर से कम भूमि वाले) को अपनी सेवा उपलब्ध करा रहा। बिहार समेत भारत का पूर्वी भाग देश का सबसे उपजाऊ बेल्ट है।
सलाहकार होने से लेकर कृषि से जुड़ी हर चीज के लिए वन स्टॉप सॉल्यूशन प्रदान करने तक इनका व्यापार बढ़ा है और साथ ही किसानों की ज़िन्दगी समृद्धि हुई है।
वर्तमान में, शशांक ग्रीन एग्रीवोल्यूशन के सीईओ हैं। इसके साथ ही, उन्हें नीति निर्माण को प्रभावित करने के लिए NITI अयोग की “परिवर्तन की चैंपियन” सूची में भी शामिल किया गया है।
ताजा फंडिंग के साथ, कंपनी अगले एक साल में इस संख्या को बढ़ाकर 2.5 लाख करना चाहती है। इस व्यापक पहुंच को सुविधाजनक बनाने के लिए, इन्वेंट्री को स्टोर करने के लिए 14 क्षेत्रीय गोदामों की स्थापना करने की भी योजना है। यह इन्वेंट्री सप्लाई की तरफ से होगी, न कि स्टार्टअप के स्वामित्व में। राजस्थान, मध्य प्रदेश और महाराष्ट्र इस विस्तार का हिस्सा बनने वाले क्षेत्रों में शामिल हैं।
यह सभी कृषि संबंधी समस्याओं के लिए एक-स्टॉप समाधान बनने के लिए अपने प्लेटफॉर्म पर अधिक कृषि सेवाओं को जोड़ने पर भी योजना बना रहा है। नए उत्पादों में कृषि ऋण और फसल बीमा जैसी सेवाएं शामिल होंगी।
2014 में, शशांक के इस स्टार्टअप ने एंजेल निवेशकों से 50 लाख रुपये जुटाए थे, और दो साल बाद आईआईएम कलकत्ता इनोवेशन सेंटर से 50 लाख रुपये और लिए।
हाल के दिनों में देश भर में कई एग्रीटेक स्टार्टअप सफलतापूर्वक फंड जुटा रहे हैं। सचिन बंसल ने एग्रीटेक और फिनटेक स्टार्टअप्स का अधिग्रहण करने के लिए $ 7 मिलियन के साथ अपनी खुद की फर्म शुरू की है। डीहैट के समान एग्रीटेक स्टार्टअप, एग्रोस्टार ने बर्टेलसमैन के नेतृत्व में $ 27 मिलियन का का फण्ड जुटाया। एग्रीटेक रोबोटिक्स के स्टार्टअप टार्टनइसेन ने पिछले सप्ताह में $ 2 मिलियन का सीड राउंड डील फाइनल की।
एक अच्छी खासी नौकरी छोड़कर एग्रीकल्चर सेक्टर में आना इतना आसान नहीं था। खासकर तब जब इंडिया में एग्रीकल्चर सेक्टर की स्थिति बिलकुल भी अच्छी नहीं है। बहुत रिस्क था और मन में ढेरों सवाल। लेकिन खुद को बाद-से बदतर स्थिति के लिए भी पहले से तैयार कर लिया और चल पड़े अपने सपनों को पूरा करने के सफर पर।
नौकरी छोड़ स्टार्टअप के आईडिया को घरवालों ने किस तरह लिया के सवाल पर शशांक कहते हैं किसी नहीं काम का परिणाम सबसे बड़ी धारणा परिवर्तक है। लोगों के माइंड सेट में बदलाव लाने के लिए आपको उन्हें सकारात्मक परिणाम देने होंगे। आपका काम बहुत अच्छा हो सकता है, लेकिन इसका तब तक कोई असर नहीं होगा जब तक कि यह समाज में बदलाव नहीं लाता है। बिहार में, परिवार वालों के लिए सबसे बड़ी चीज़ प्रतिष्ठा होती है। जब आईआईटी एंट्रेंस कोई क्लियर करता है, तो पूरा परिवार उत्साहित हो जाता है, क्योंकि उन्हें समाज से इस बात के लिए काफी सम्मान मिलता है। इसलिए स्टार्ट-अप को एक ऐसे स्तर तक पहुँचाना है जहां वह लोगों की नजरों में सम्मान कायम कर सके। जब सोसाइटी के लोग आपकी सफलता के बारे में बात करते हैं तो परिवार की राय और सोच भी बदल जाती है। हम बिहार के कई और लोगों के साथ मिलकर इस दिशा में काम कर रहे हैं। उम्मीद है कि आज से 10 साल बाद वो वक्त आएगा जब माता-पिता को अपने बच्चों स्टार्ट-अप के लिए प्रोत्साहित करेंगे।
DeHaat की टीम अपनी सफलता को बिहार के युवाओं को समर्पित करते हुए कहती है, ‘हम इस फंडिंग राउंड को उन सभी युवाओं को समर्पित करते हैं, जिन्होंने मेहनत कर पढाई की, फिर देश विदेश में काम किया फिर दुनिया को और बेहतर बनाने के अपने सपने को पूरा करने के लिए वापस बिहार आये।”
बिहार के उन तमाम युवाओं और उद्यमियों के लिए शशांक प्रेरणा श्रोत हैं जिनके आँखों में सपना, और मन में उसे पूरा करने का हौसला है। बिहार में इस तरह के निवेश बाजार को बड़ा बनाने में कारगार साबित होंगे। साथ ही युवा को उद्यमिता को रोज़गार के तौर पर देखेंगे और सोचेंगे।
शशांक युवाओं को सलाह देते हैं की अगर खुद पर और और अपने सपनो पर भरोसा है तो अपने सपनो को जरूर पूरा करना चाहिए। और अगर कोई एग्रीकल्चर के क्षेत्र में कुछ करना चाहता है तो हमसे संपर्क करें। हमें आपकी मदद करने में बोहोत ख़ुशी होगी।