सावन के प्रत्येक शुक्रवार को पहलेजा घाट से हजारों कांवरियों के कदम बाबा गरीबनाथ मंदिर की ओर बढ़ते हैं। करीब 77 किमी की दूरी तय कर बाबा के दरबार में पहुंचने वाली आस्था के ये कदम साल दर साल बढ़ते जा रहे। कभी पारिवारिक रहा यह मंदिर अब बड़ा धाम बन चुका है।

गरीबों के तारणहार बाबा गरीबनाथ को लेकर मंदिर के प्रशासक व मुख्य पुजारी पंडित विनय पाठक कहते हैं- कभी यह इलाका जंगल था। दो सौ वर्ष पहले जमींदार रहे मदन मोहन मिश्र की जमीन नीलाम की गई। इसे शहर के चचान परिवार ने खरीदी। इसके बाद जंगल की सफाई की जाने लगी। जंगल में सात पीपल के पेड़ भी थे। छह के बाद मजदूरों ने सातवें पेड़ के पास खोदाई शुरू की। इस दौरान कुल्हाड़ी का वार एक पत्थर पर पड़ा। फिर क्या था उस पत्थर से ‘लाल द्रव’ का फव्वारा फूट पड़ा। खोदाई रोक दी गई। कहा जाता है कि बाद में चचान परिवार ने सात धूर जमीन को घेरकर पूजा-पाठ आरंभ कराई। बाद में पत्थर को दूसरे स्थान पर ले जाने के लिए खोदाई की गई। मगर, जैसे-जैसे खोदाई की गई, पत्थर फैलता गया। अंतत: इसे यहीं छोड़ पूजा-पाठ जारी रहा। आज भी पीपल का पेड़ यहां है। साथ ही शिवलिंग पर कटे का निशान भी।

..और बाबा कहलाने लगे गरीबनाथ: मुख्य पुजारी कहते हैं कि इलाके के एक व्यापारी के मुंशी इस मंदिर में रोज पूजा करते थे। उनकी एक बेटी थी। जिसकी शादी कम उम्र में हो गई थी। उसके गवना (द्विरागमन) का समय आने पर मुंशी के पास देने को कुछ नहीं था। उन्होंने घर व जमीन बेचने का निर्णय लिया। जमीन रजिस्ट्री करने जाने से पहले वे नित्य की तरह पूजा करने आए। मगर, उदासी चेहरे पर थी। वहां एक बालक ने उदासी का कारण पूछा। रजिस्ट्री के लिए जाने के समय टोकने को अपशकुन मान मुंशी बौखला गए। कहते हैं कि मुंशी का रूप धारण कर एक बैलगाड़ी में गवना के सारे सामान लेकर महादेव उनके घर पहुंच गए, वहां उन्होंने मुंशी की पत्नी को हुक्का बनाकर रखने की बात कही और निकल गए। इधर, मुंशी ने घर पहुंचने पर सामान देखा तो समझते देर नहीं लगी। बोल पड़े, मंदिर में मिला ब्राrाण लड़का कोई और नहीं, साक्षात गरीब के नाथ महादेव थे।

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1950 के दशक में चढ़ा पहला कांवर, हर साल जलाभिषेक

धीरे-धीरे बाबा गरीबनाथ की प्रसिद्धि फैलने लगी। लोगों की मन्नतें पूरी होने लगीं। इसी कड़ी में सरैयागंज के कुछ लोगों ने वर्ष 1950 के आसपास पहलेजा से जल लेकर पहला कांवर चढ़ाया। तबसे यह प्रथा चली आ रही। आज सावन में आठ से दस लाख श्रद्धालु यहां जलाभिषेक करते हैं।

सवा करोड़ हुई न्यास समिति की सालाना आय

वर्ष 2006 में मंदिर का अधिग्रहण किया गया। बाबा गरीबनाथ न्यास समिति बनी। प्रसिद्धि के साथ मंदिर की समृद्धि भी बढ़ी। परिसर अब चार कट्ठे में विस्तार पा चुका है। वहीं बाबा गरीबनाथ न्यास समिति की सालाना आमदनी सवा करोड़ हो गई। अचल संपत्ति के रूप में दादर में 19 कट्ठा जमीन है। नाम के अनुरूप यह समिति गरीबों की सेवा भी करती है। डे केयर सेंटर में आयुर्वेद व होम्योपैथ का निशुल्क इलाज होता है। समय-समय पर यह समिति दिव्यांग, गरीबों की मदद के लिए कार्यक्रमों का आयोजन भी करती है।

Input : Dainik Jagran

 

 

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