हिंदू धर्म शास्त्रों में 51 शक्तिपीठों का उल्लेख किया गया है और प्रत्येक शक्तिपीठ का अपना एक खास महत्व है. असम के गुवाहटी शहर में स्थित कामाख्या देवी मंदिर भी 51 शक्तिपीठ में से एक है और हर साल यहां अंबुबाची मेला लगता है जो कि असम में ही नहीं, बल्कि देशभर में काफी प्रसिद्ध है. इस मेले में शामिल होने के लिए भारी संख्या में श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ती है. कामाख्या मंदिर में आयोजित होने वाले इस मेले से जुड़ी कई ऐसी बातें हैं जो कि आज भी लोगों को अचंभित करती हैं. आइए जानते हैं इस साल कब लगेगा अंबुबाची मेला और इसका महत्व.
इस दिन शुरू होगा अंबुबाची मेला
अंबुबाची मेले की बात करें तो यह हर साल 22 जून को शुरू होता है और 26 जून तक चलता है. इस दौरान 3 तीनों के लिए मंदिर के कपाट बंद कर दिए जाते हैं और इस दौरान भक्त कामाख्या देवी के दर्शन नहीं कर सकते. 22 जून को मंदिर के कपाट बंद होते हैं और 26 जून को मां कामाख्या देवी को स्नान व श्रृंगार कराने के बाद दर्शन के लिए कपाट खोले जाते हैं.
अंबुबाची मेले का महत्व
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार अंबुबाची मेला का विशेष महत्व है और इस मेले के दौरान मां कामाख्य रजस्वला या यानि मासिक धर्म में होती हैं. कहते हैं कि जब मां के ये दिन शुरू होते हैं तो तब गर्भगृह के कपाट खुद ही बंद हो जाते हैं. इस दौरान किसी को भी अंदर जाकर दर्शन करने की अनुमति नहीं होती और रजस्वा समाप्त होने के बाद माता को स्नान व श्रृंगार कराया जाता है. तब दर्शन के लिए कपाट खोले जाते हैं. कहते हैं कि अंबुबाची मेले में चौथे दिन मां कामाख्या के दर्शन करने से भक्तों को सभी प्रकार के पापों से मुक्ति मिलती है. यहां भक्तों को विशेष प्रकार का प्रसाद मिलता है.
मंदिर में नहीं है कोई मूर्ति
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार कामाख्या मंदिर में देवी सती की योनि गिरी थी और यहां देवी को कोई मूर्ति नहीं है. बल्कि इस मंदिर में एक कुंड है जो कि हमेशा फूलों से ढका रहता है और अंबुबाची मेले के दौरान जब मां को मासिक धर्म होता है तब इस कुंड को सफेद रंग के कपड़े से ढक दिया जाता है और मासिक धर्म समाप्त होने के बाद जब मंदिर के द्वार खुलते हैं तो यह कपड़ा लाल रंगा हो जाता है.
Source : India.com