हमास-इजरायल जंग के चौथे दिन गाजा पट्टी में हालात बहुत नाजुक हो चले हैं। इजरायल वहां दिन-रात ताबड़तोड़ बमबारी कर रहा है। वहां 100 बच्चों समेत कुल 700 से ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी है, जबकि 3000 से ज्यादा लोग घायल हुए हैं। पूरी गाजा पट्टी के आसमान में बार-बार धुएं का गुब्बार उठ रहा है। मीडिया रिपोर्ट्स में कहा जा रहा है कि इजरायली सेना ने बंकर बस्टर नामक एक शक्तिशाली प्रकार के बम से उत्तर-पश्चिमी गाजा में सुरंगों को भी निशाना बनाया है, जो फिलिस्तीनियों के लिए सुरक्षा चौकियां हुआ करती थीं। इजरायली सेना अब हमले में हमास आतंकियों और आम नागरिकों में फर्क नहीं कर रहीं और बड़ी बेदर्दी से उन पर हमले कर रही है।

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इधर, दुनियाभर के देश हमास और इजरायल को समर्थन देने पर बंट चुके हैं। इजरायली हमले से कई अरब देश गुस्से से उबल रहे हैं। बगदाद समेत कई शहरों में इजरायल और अमेरिका के खिलाफ नारेबाजी हो रही है और गाजा में शांति बहाली के लिए विरोध-प्रदर्शन होने लगे हैं। ईरान के साथ-साथ लेबनान में भी गाजा के लिए प्रदर्शन हो रहे हैं। बेरूत में लोग सड़कों पर उतर आए हैं।

दो गुटों में बंटी दुनिया
इराक, ईरान, मिस्र, सीरिया, तुर्की, कतर और लेबनान समेत कई अरब देशों ने इजरायल को चेतावनी दी है। इस बीच, अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन ने इजरायली प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू को फोन कर कहा है कि वह उसके साथ खड़े हैं। इतना ही नहीं अमेरिका ने इजरायल को गोले-बारूद और हाईटेक हथियारों की खेप भी भेजनी शुरू कर दी है। इसके अलावा अमेरिका ने अपने सबसे बड़े नौसैनिक बेड़े USS जेराल्ड फोर्ड को पूर्वी भूमध्यसागर (जिसके किनारे पर गाजा पट्टी और इजरायल स्थित है) में भेज दिया है।

अमेरिका का ये बेड़ा अपने आप में किसी नौसेना के बराबर है, जिससे निपटना किसी एक देश के बस की बात नहीं है। अमेरिका ने यही संदेश देने के लिए इसे पूर्वी भूमध्यसागर में भेजा है और अपनी सबसे बड़ी फायर पावर को भी इजरायल के पास तैनात करने का फैसला किया है। अमेरिका के अलावा ब्रिटेन, फ्रांस, इटली और जर्मनी ने भी इजरायल का समर्थन किया है।

VIDEO: USS Gerald R. Ford Back in Norfolk After Two Months in the Atlantic  - USNI News

क्या है USS जेराल्ड फोर्ड
USS जेराल्ड फोर्ड अमेरिकी नौसेना का एक लड़ाकू विमान वाहक युद्धपोत है, जिस पर तिकोनदेरेगा मिसाइल क्रूजर और आर्लेग ब्रक के चार मिसाइल डिस्ट्रॉयर तैनात हैं। इसी बेड़े पर सेना को रसद सप्लाई करने वाले शिप भी हैं। इसके अलावा पानी के अंदर दुश्मनों की पहुंच रोकने के लिए परमाणु पनडुब्बी भी इस बेड़े में शामिल है। अमेरिकी बेड़े को देखकर कोई भी दुश्मन सामने ना टिक पाने के लिए मजबूर हो सकता है। अमेरिका इस बेड़े को उतारकर यही संदेश इजरायल-हमास जंग में भी देना चाह रहा है कि कोई भी देश उसके पास आने की हिमाकत न करे। इसे CVN-78 भी कहा जाता है।

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पूर्वी भूमध्यसागर में इस बेड़े की तैनाती के पीछे अमेरिका की लंबी चाल है। वह समंदर से सीरिया पर भी अटैक कर सकता है। इसके अलावा लेबनान की सीमा पर भी पहरा लगा सकता है। अमेरिका इस एक बेड़े से सीरिया, लीबिया के अलावा, तुर्की और मिस्र को भी अपने रडार पर रख सकेगा। इसके अलावा भूमध्यसागर से ही अमेरिका इजरायल के लिए आसमानी सुरक्षा कवच बन सकेगा। अमेरिका ऐसा पहले ईरान और अफगानिस्तान में भी कर चुका है। ऐसे में माना जा रहा है कि अमेरिकी बेड़े की तैनाती से भूमध्यसागर में खाड़ी युद्ध सा नजारा उत्पन्न हो सकता है।

USS जेराल्ड फोर्ड की खासियत
इस बेड़े का वजन एक लाख टन है। भारत का युद्धपोत आईएनएस विक्रांत इससे आधे वजन का है। USS जेराल्ड फोर्ड न्यूक्लियर पावर से चलता है और दुनिया के किसी भी हिस्से में पहुंच सकता है। समंदर में इस एयरक्राफ्ट करियर की रफ्तार 56 किलोमीटर प्रति घंटे है। इस पर एक साथ 3000 नौसैनिक तैनात किए जा सकते हैं। इस विमानवाहक युद्धपोत पर 90 लड़ाकू विमान और हेलिकॉप्टर तैनात किए जा सकते हैं। अभी इस पर सुपर हॉर्नेट और F-35 लड़ाकू जेट विमान तैनात हैं।

Aircraft Carrier USS Gerald R. Ford Departs Norfolk for Worldwide  Deployment - USNI News

जंग में रूस भी कूदा
उधर, रूस ने भी हमास-इजरायल जंग में एंट्री ले ली है। रूस ने कहा है कि वह फिलिस्तीन के साथ जा सकता है। रूस ने कहा है कि इस जंग को अमेरिका ने शुरू करवाया है। रूस का मानना है कि अमेरिका और अन्य पश्चिमी देश यूक्रेन की ही तरह इजरायल को भी फंसा रहे हैं। मास्को का कहना है कि मिडिल ईस्ट में अपना दबदबा कायम रखने के लिए पश्चिमी देश इजरायल का इस्तेमाल कर रहे हैं। मीडिया रिपोर्ट्स में कहा गया है कि फिलिस्तीन के राष्ट्रपति जल्द ही पुतिन से मिल सकते हैं। खबरें ये भी आ रही हैं कि कई अरब देशों ने इजरायल-हमास जंग पर रूस के साथ बैठक की है।

Source : Hindustan

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