बिहार के नालंदा जिले में स्थित औंगारी सूर्य मंदिर राज्य की कला और संस्कृति का परिचायक है। इस मंदिर का निर्माण तीसरी शताब्दी ईसा पूर्व में हुआ था। इस मंदिर में खास बात ये है कि मन्नत पूरी करने के लिए श्रद्धालु विशेष मुद्रा में भगवान सूर्य को अर्ध्य देते हैं। यह मंदिर नालंदा जिले के एकंगरसराय प्रखंड में स्थित है। जो बिहारशरीफ से सड़क मार्ग से करीब 30 किमी और एकंगरसराय से पांच किमी की दूरी पर स्थित है। इस मंदिर का गर्भगृह पश्चिममुखी है जो इसे देश के अन्य मंदिरों से अलग बनाता है।

बता दें कि औंगारी का पुराना नाम अंग्गार्क था। पौराणिक सूर्य नगरी औंगारी धाम में भगवान भास्कर का यह प्रचीन मंदिर है। ऐसी मान्यता है कि श्राप से मुक्ति के लिए श्रीकृष्ण के पौत्र राजा साम्ब ने औंगारी धाम में सूर्य की उपासना की थी। वे काफी दिनों तक यहां रुके और भगवान सूर्य को अर्घ्य दान किया। इसके बाद ही उन्हें कुष्ट से मुक्ति मिली थी। जहां मंदिरों का दरवाजा पूर्व की तरफ होता है तो इस सूर्य मंदिर का दरवाजा पश्चिम की तरफ है।

ऐसा माना जाता है कि एक बार औंगारीधाम के रास्ते से बारात जा रही थी। इनमें से कुछ बारातियों ने कहा कि आगे सूर्यदेव में शक्ति है तो मंदिर का दरवाजा पूर्व से पश्चिम हो जाए। इसके बाद मंदिर का दरवाजा पश्चिम की तरफ हो गया। यहां पर छठ के दौरान न सिर्फ बिहार के बल्कि अन्य राज्यों के लोग भी छठ करने आते हैं। चार दिनों तक यहां पर तम्बू लगाकर चार दिवसीय महापर्व छठ होता है।

Muzaffarpur Now – Bihar’s foremost media network, owned by Muzaffarpur Now Brandcom (OPC) PVT LTD