अयोध्या. राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद जमीन वि’वाद मा’मले में सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने अपना ऐतिहासिक फैसला सुना दिया है.

इस फैसले से एक शख्स बेहद उत्साहित दिखाई दिए, जो 30 साल पहले ही राम मंदिर के भव्य स्वरूप का खाका खींच चुके थे. ये हैं चंद्रकांत भाई सोमपुरा (Chandrakant Bhai Sompura). अयोध्या (Ayodhya) से 1,384 किलोमीटर दूर गुजरात (Gujarat) के अहमदाबाद में बैठे चंद्रकांत भाई सोमपुरा वो शख्सियत हैं, जिन्होंने राम मंदिर का डिजाइन (Ram Temple Model) तैयार किया है. उनके ही बनाए गए मॉडल को दर्शन के लिए अयोध्या के कारसेवकपुरम में रखा गया है. यह जगह विश्व हिंदू परिषद (VHP) का मुख्यालय है. सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद चंद्रकांत भाई अब मंदिर निर्माण को लेकर खासा उत्साहित हैं.

न्यूज 18 के संवाददाता मनीष कुमार ने पिछले दिनों राम मंदिर के प्रस्तावित मॉडल को तैयार करने वाले आर्किटेक्ट चंद्रकांत भाई सोमपुरा (Chandrakant Bhai Sompura) से विस्तार से बातचीत की थी. इसमें उन्होंने मंदिर निर्माण के पूरे प्लान, जिसमें खर्च भी शामिल है, पर विस्तार से बताया था.

सवाल- मंदिर बनाये जाने के लिए कितने फीसदी पत्थरों की तराशी का काम पूरा हो गया है?
चंद्रकांत भाई सोमपुरा- करीब पचास फीसदी पत्थरों की तराशी का काम पूरा हो गया है. यदि मंदिर बनाया जायेगा तो जितने पत्थर अभी तैयार हैं उनसे निर्माण कार्य शुरू हो जायेगा और दूसरी तरफ बाकी पत्थरों की तराशी का काम चलता रहेगा.

सवाल- मंदिर बनाने में कितनी लागत आयेगी?
चंद्रकांत भाई सोमपुरा- जब हमने मंदिर का मॉडल तैयार किया था तब पत्थरों की कीमत आज के मुकाबले बहुत कम थी. तब पचास रूपये प्रति वर्ग फुट पत्थर मिलता था लेकिन, अब उसी पत्थर की कीमत पांच सौ रूपये प्रति वर्ग फुट हो गया है और वो भी मुश्किल से मिल रहा है. जितना लंबा और चौड़ा पत्थर लेते हैं उतनी ज्यादा कीमत चुकानी पड़ती है. साथ ही बड़े आकार के पत्थरों का मिलना भी मुश्किल हो गया है. इनका मिलना इस बात पर निर्भर करता है कि खदान से कब लंबे और चौड़े पत्थर मिलें.

Ayodhya Chandrakant
राम मंदिर का मॉडल बनाने वाले आर्किटेक्ट चंद्रकांत भाई सोमपुरा.

सवाल- कहां-कहां से पत्थर मंगाये जाते हैं और कौन से पत्थर हैं?
चंद्रकांत भाई सोमपुरा- सभी पत्थर राजस्थान के भरतपुर से मंगाये गये हैं और मंगाये भी जाते हैं. ये सैंडस्टोन है, यानी बलुआ पत्थर.

सवाल- क्या पूरे मंदिर में सिर्फ सैंडस्टोन लगेंगे?
चंद्रकांत भाई सोमपुरा- फर्श में मार्बल लगेगा. प्लिंथ ग्रेनाइट पत्थर का बनाया जायेगा क्योंकि ऐसी इच्छा दिवंगत अशोक सिंहल ने जाहिर की थी. पानी वगैरह से इस पर ज्यादा फर्क नहीं पड़ेगा. इसमें लोहे का बिल्कुल भी इस्तेमाल नहीं किया जायेगा.

सवाल- मंदिर निर्माण की अनुमानित लागत क्या मानते हैं आप?
चंद्रकांत भाई सोमपुरा- देखिये आज के हिसाब से पत्थर का काम दो हजार रूपये प्रति वर्ग फुट के हिसाब से होता है और करीब एक लाख घनफुट का काम बाकी है. इस हिसाब से 20 करोड़ रुपये तो ये हो गया और बाकी काम 10 से 12 करोड़ का हो गया. इसके अलावा फिटिंग वगैरह में जो भी खर्च हो. इस तरह 40-50 करोड़ से ऊपर जायेगा मंदिर निर्माण का खर्च.

सवाल- कितना टाइम लगेगा मंदिर को शेप (आकार) लेने में?
चंद्रकांत भाई सोमपुरा- शेप में तो टाइम लगेगा, क्योंकि पहले फाउंडेशन का काम करना पड़ेगा. जो प्रस्तावित जगह है उसके पीछे सरयू नदी बहती है और उसकी वजह से पूरी खाई 40 -50 फीट की है. उसको भरने में टाइम तो लगेगा. छह से आठ महीने तो फाउंडेशन बनाने में ही लग जायेंगे. ये काम कोई आसान नहीं है. सीमेंट और चूने को सेट होने में भी टाइम लगता है. उसके बाद मंदिर निर्माण में पत्थर लगाये जाने शुरू हो जायेंगे. इस तरह छह से आठ महीने में मंदिर शेप लेना शुरू हो जायेगा.

सवाल- मंदिर का फर्स्ट फ्लोर कितने दिन में तैयार कर देंगे?
चंद्रकांत भाई सोमपुरा- फर्स्ट फ्लोर का काम हो रखा है सिर्फ पत्थरों की फिटिंग करना बाकी है. नींव तैयार करने के बाद अगले छह महीने में फर्स्ट फ्लोर के पत्थर लगा दिये जायेंगे. इस तरह काम शुरू होने के बाद ढाई से तीन साल में पूरा मंदिर तैयार हो जायेगा. आजकल अच्छा पत्थर निकलना थोड़ा मुश्किल है.

सवाल- कितने मंदिर अभी तक आपने बनवाये हैं?
चंद्रकांत भाई सोमपुरा- 100 से ज्यादा मंदिर अभी तक बनाये हैं. लंदन, पीट्सबर्ग में सर्वधर्म मंदिर, बैंकॉक में विष्णु मंदिर और अमेरिका में जैन मंदिर बनाया है. सोमनाथ का मंदिर मेरे दादा प्रभा शंकर जी सोमपुरा ने डिजाइन किया था. उन्हें पद्मश्री भी मिला था.

सवाल- अयोध्या राम मंदिर के डिजाइन में ऐसा क्या खास बनाया है जिससे ये दूसरे मंदिरों से अलग हो?
चंद्रकांत भाई सोमपुरा- सभी मंदिर करीब-करीब चौकोर होते हैं लेकिन, इसका गर्भगृह अष्टकोण है. इसकी परिक्रिमा भी गोलाई में है जबकि बाकी मंदिरों में ये चौकोर होती है. नागर शैली का ये डिजाइन है. साथ ही इसका शिखर भी अष्टकोण है. यह मंदिर दो मंजिला होगा जिसमें भूतल पर रामलला की मूर्ति होगी और ऊपरी के तल पर राम दरबार होगा.

सवाल- मंदिर में कहीं भी लोहा न इस्तेमाल किये जाने के पीछे कोई खास वजह?
चंद्रकांत भाई सोमपुरा- लोहा पत्थर को कमजोर कर देता है जंग लगने के कारण.

सवाल- मंदिर में लगाये जाने वाले पिलर के बारे में कुछ बताइये?
चंद्रकांत भाई सोमपुरा- खंभों पर नक्काशी पर विशेष ध्यान दिया गया है. हर खंभे पर 12 मूर्तियां उकेरी गई हैं. ये हिंदू देवी-देविताओं की मूर्तियां हैं. इस पर फूल-पत्तियों का भी डिजाइन होगा.

सवाल- मंदिर के गुंबद के निर्माण की क्या प्रगति है?
चंद्रकांत भाई सोमपुरा- नहीं, गुंबद का काम अभी शुरू नहीं हुआ है. इसमें काफी नक्काशी होगी लेकिन, अभी बनना चालू नहीं हुआ है.

सवाल- क्या आपने आर्किटेक्ट में कोई पढ़ाई भी की है?
चंद्रकांत भाई सोमपुरा- नहीं, मेरे पिता जी ने मेरी पढ़ाई छुड़वा दी थी. मैंने इसमें कोई डिग्री नहीं की है. बल्कि मैंने इंटर तक ही पढ़ाई की. मैंने ये काम अपने दादाजी से सीखा है.

सवाल- क्या आप विश्व हिंदू परिषद के संपर्क में हैं?
चंद्रकांत भाई सोमपुरा- कभी काम होता है तो संपर्क करते हैं, बाकी ऐसा कोई खास नहीं.

सवाल- क्या मंदिर के डिजाइन के बदले विश्व हिंदू परिषद से कोई फीस भी तय हुई है?
चंद्रकांत भाई सोमपुरा- फीस तय हो गई है. मेरे ख्याल से वो दो या ढाई फीसदी है मंदिर निर्माण की कुल लागत का.

सवाल- कोई पैसा मिला कि नहीं आपको?
चंद्रकांत भाई सोमपुरा- अभी पिछले दस वर्षों से तो कोई पैसा नहीं मिला. वैसे तो मैं ऐसे ही काम कर रहा हूं. जब अशोक सिंहल थे तब उन्होंने जो पैसे दिये थे, मैंने ले लिये थे. वैसे मैं पैसे के लिए कोई काम नहीं कर रहा हूं. बाकी कोई प्रोफेशनली बात नहीं हुई है. मैं कर भी नहीं रहा हूं.

Input : News18

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